#रॉन्ग नंबर /wrong connection part 5th
जीत कहता है:-
अच्छा हुआ मोहतरमा आपने कॉल कर लिया ।
वरना दर्द उतना ज्यादा नहीं है जितना कि मैंने पूरे 1 महीने यह सोच सोच कर बिता दिया कि उस लड़की का कॉल आएगा भी या नहीं आएगा।
सच कहूं हर वक्त तुम्हारे ही बारे में सोचता था मुझे यह नहीं मालूम कि ऐसा क्यों सोच रहा था लेकिन हां ..!सोचता मैं तुम्हारे बारे में जरूर था।
तुमसे बात करके पता नहीं क्यों मुझे एक अपनापन सा लगा । इस भीड़ भाड़ वाली दुनिया में शायद कोई है इस बेवकूफ की बातों को सुन सकता है , समझ सकता है...
जबकि तुमसे ज्यादा बात भी नहीं हुई थी उस दिन लेकिन न जाने क्यों ऐसा लगा जैसे हम पहले से एक दूसरे को जानते हो ।
ओ ...! हेलो मैम.....
मेरी बातें आपको बोर कर रही होंगी ना ???
चलो मेरा छोड़ो अपना बताओ आज कैसे आपने इस बेवकूफ को याद कर लिया?
सामने से लड़की कहती है :-
क्यों जीत जी आप खुद को बेवकूफ क्यों कह रहे हैं ?
जीत कहता है मुस्कुराते हुए क्यों नहीं ..! बेवकूफ ही तो हूं..
लड़की :- धीमी मुस्कुराहट के साथ कहती है कैसे ?
जीत कहता है :- अरे ..! जब मैंने उस दिन इतनी ढेरों बातें तो कर लिया लेकिन आपका नाम ही नहीं पूछ पाया तो हुआ ना ... बेवकूफों की तरह बस सोचता रहा कि क्या होगा उस लड़की का नाम ? फिर सोच कर भी क्या करना था जो नाम आपका होगा वही होगा ना ... !
बताइए क्या नाम है आपका ??
सामने से लड़की थोड़ा सा सोच में पड़ जाती है और जीत से धीरे स्वर में कहती हैं....नाम बताना जरूरी है क्या...?
क्या हम बिना नाम के दोस्ती नहीं कर सकते ..
जीत कहता है :- ऐसे कैसे हो सकता है आपको तो नाम बताना पड़ेगा ...
मैं आपको क्या कह कर पुकारो आप खुद सोचिए....
न जाने वो लड़की जाने क्यों उदास हो जाती है जैसे ढेरों सवाल उसके मन में घूम रहे होते हैं क्यों वह अपना नाम बताना नहीं चाहती थी ऐसा क्यों??? ।
क्या जीत को पहले से जानती थी ?
to be continue . ..✍️✍️✍️
Shesh Kahani Bhag 6 mein
© Shalini Saklani ✍️ shaivali
अच्छा हुआ मोहतरमा आपने कॉल कर लिया ।
वरना दर्द उतना ज्यादा नहीं है जितना कि मैंने पूरे 1 महीने यह सोच सोच कर बिता दिया कि उस लड़की का कॉल आएगा भी या नहीं आएगा।
सच कहूं हर वक्त तुम्हारे ही बारे में सोचता था मुझे यह नहीं मालूम कि ऐसा क्यों सोच रहा था लेकिन हां ..!सोचता मैं तुम्हारे बारे में जरूर था।
तुमसे बात करके पता नहीं क्यों मुझे एक अपनापन सा लगा । इस भीड़ भाड़ वाली दुनिया में शायद कोई है इस बेवकूफ की बातों को सुन सकता है , समझ सकता है...
जबकि तुमसे ज्यादा बात भी नहीं हुई थी उस दिन लेकिन न जाने क्यों ऐसा लगा जैसे हम पहले से एक दूसरे को जानते हो ।
ओ ...! हेलो मैम.....
मेरी बातें आपको बोर कर रही होंगी ना ???
चलो मेरा छोड़ो अपना बताओ आज कैसे आपने इस बेवकूफ को याद कर लिया?
सामने से लड़की कहती है :-
क्यों जीत जी आप खुद को बेवकूफ क्यों कह रहे हैं ?
जीत कहता है मुस्कुराते हुए क्यों नहीं ..! बेवकूफ ही तो हूं..
लड़की :- धीमी मुस्कुराहट के साथ कहती है कैसे ?
जीत कहता है :- अरे ..! जब मैंने उस दिन इतनी ढेरों बातें तो कर लिया लेकिन आपका नाम ही नहीं पूछ पाया तो हुआ ना ... बेवकूफों की तरह बस सोचता रहा कि क्या होगा उस लड़की का नाम ? फिर सोच कर भी क्या करना था जो नाम आपका होगा वही होगा ना ... !
बताइए क्या नाम है आपका ??
सामने से लड़की थोड़ा सा सोच में पड़ जाती है और जीत से धीरे स्वर में कहती हैं....नाम बताना जरूरी है क्या...?
क्या हम बिना नाम के दोस्ती नहीं कर सकते ..
जीत कहता है :- ऐसे कैसे हो सकता है आपको तो नाम बताना पड़ेगा ...
मैं आपको क्या कह कर पुकारो आप खुद सोचिए....
न जाने वो लड़की जाने क्यों उदास हो जाती है जैसे ढेरों सवाल उसके मन में घूम रहे होते हैं क्यों वह अपना नाम बताना नहीं चाहती थी ऐसा क्यों??? ।
क्या जीत को पहले से जानती थी ?
to be continue . ..✍️✍️✍️
Shesh Kahani Bhag 6 mein
© Shalini Saklani ✍️ shaivali
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