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अधूरा
हम सबकी जिंदगी में ऐसा कुछ खास लिखा होता है जो हमें जिंदगी का सबसे बड़ा सबक सिखा कर जाता है। अगर हम अपनी जिंदगी को किताब मानते हैं तो हमारी जिंदगी में होने वाली सारी घटनाएं एक चैप्टर है जो भी हमारी जिंदगी में लोग आते हैं वो हमारी इस किताब का एक चैप्टर बनकर रह जाते हैं, ऐसे पन्ने बन जाते हैं जिनको हम ना ही पढ़ते हैं नहीं जलाते हैं, बाल्की उनसे कुछ सबक सीखते हैं।

आकृति की जिंदगी में ऐसा अब तक कोई नहीं आया था जो उसको समझे पर हर किसी के लिए कोई ना कोई तो बना ही होता है। एसा ही उसकी जिंदगी में हुआ आकृति की जिंदगी में एक इंसान आया जो उसे पसंद करता था और वो भी उसको पसंद करती थी पर दोनों एक दूसरे की पसंद से अंजान थे। एक दिन उस इंसान ने प्रपोज़ कर दिया और वो शॉक हो गई उसे मालूम ही नहीं था। थोड़ा नखरे दिखाये उसने पर फिर मन गाई। वो दोनों एक दूसरे के साथ बहुत सारी बातें करते समय हमेशा एक दूसरे को छोड़ नहीं पाएंगे। पर ये सब किस्मत को कहां मंजूर था एक दिन कबीर ने उसको कहा कि हम दोनों एक हो जाते हैं हम दोनों शादी कर लेते हैं। आकृति को ये मजबूरी नहीं था उसने कहा हमें थोड़ा इंतज़ार करना चाहिए। वो चाहती थी कि वो तब शादी करे जब वो अच्छी सी नौकरी ज्वाइन कर ले और अपनी पढ़ाई भी खत्म कर ले तब वो दोनों शादी करे पर ये बात कबीर को मजूर नहीं थी।
आकृति ने तंग हो कर कहा शायद हमें दोस्त बन जाना चाहिए कबीर उसकी किसी बात के लिए इनकार नहीं करता उसने भी हाँ भर दी और फिर कुछ देर बाद आकृति ने मैसेज किया कि हम एक काम करते हैं हम दोनों एक दूसरे से तीन महीने दूर रहेंगे, नहीं बात करेंगे, नहीं मिलेंगे, नहीं संदेश पर बात करेंगे, एक दूसरे से दूर रहेंगे। तीन महीने के बाद अगर दोनों में से किसी को ये लगे कि अब एक दूसरे के बिना नहीं जा रहा है तो तीन महीने के बाद हम एक दूसरे को संदेश देंगे। कबीर ने पूछा कि अगर जरूरत नहीं पड़ी तो आकृति ने कहा तीन महीने दूर होंगे आदत हो जाएगी और ये केहकर वो रोने लगी। और अब एक साल बीत चुका है पर कबीर का संदेश नहीं आया आकृति ने कोशिश नहीं की उसे संपर्क करने की क्योंकि वो चाहती थी कि कबीर को उसकी ज़रूरत महसूस हो पर ऐसा नहीं हुआ।
यहीं एक हादसे ने उसे अब तक कबीर के इंतजार में रखा है। वो आज तक किसी की नहीं हुई। वो एक शायरी है ना


तेरे जाने से आज भी मुझे फर्क पड़ता है
बिन कहे जो तूने दुरी कर ली है
उसे मेरे दिल को फर्क पड़ता है
तेरी बातों को याद करके जो रोई हूं
तुझे उससे कहां फर्क पड़ता है पर
तेरे जाने से आज भी मुझे फर्क पड़ता है।
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