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अनपढ़
"पेड़ पौधों को हरा सोना कहा जाता हैँ, यें हमें ऑक्सीजन देते हैँ, इनके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती हैँ " महेश जी अपने बेटे को पढ़ा रहें थ!े उनका बेटा अतुल तीसरी कक्षा में था | उनकी कामवाली बाई शीला वही झाड़ू लगा रही थी | बोली "भैया क्या पेड़ हमारे लिए इतने महत्वपूर्ण होते हैँ ??"
अतुल बोला "आंटी इतनी सी बात आपको पता नहीं थी, पेड़ ना हो तो बारिश भी नहीं होगी, ना ही कोई जीवित रहेगा "|
"अच्छा " अब से मैं पेड़ पौधों की देख भाल करुँगी " शीला ने खुश होके कहा|
"देखो अतुल अगर तुम पढ़ाई नहीं करोगे तो शीला की तरह तुम्हें कुछ पता नहीं होगा " महेश जी ने हंस कर कहा |
"हाँ बेटा मैंने तो एक अक्षर भी नहीं पढ़ा इसलिए मुझे छोटी छोटी बातें भी नहीं पता रहता, आप खूब पढ़ाई करना" शीला बोली
महेश जी ने 1 बीघा ज़मीन पे सागवान के पौधे लगा रखें थे, जो अब बड़े हो गये थे |
"नैना जल्दी नास्ता लगा दो आज खेत पे कुछ व्यापारी आ रहें हैँ देखों अच्छी कीमत मिल जाये तो सागवान के पेड़ो का सौदा कर दूंगा '" महेश जी ने अपनी पत्नी से कहा |
"हाँ जी आपकी मेहनत रंग लायी, सागवान लगाने का आपका निर्णय बिलकुल सही था, कितनी महंगी हो गयी इसकी लकड़ी "नैना ने कहा
शीला जो बर्तन मांजने में मग्न थी चौंक गयी |
"भैया आप को तो पता हैँ कि पेड़ इतने उपयोगी होते हैँ,तो आप उन्हें क्यों बेचना चाहते हैँ "|
पेड़ कम हो जायेंगे तो हम सांस कैसे लेंगे "|
"हाँ पापा मेरी मैम ने कहा हैँ कि,हम सब को कम से कम 10 पेड़ लगाना चाहिए तभी संतुलन बना रहेगा"
अतुल बोला
"भैया मैंने तो आम की गुठलीयां आँगन में बो दी थी |अब छोटे पौधे उग आए हैँ, मेरे पास तो ज़मीन हैँ नहीं सोचा था अतुल बाबू के साथ मिलकर आपके खेत में लगा दूंगी,आप तो पेड़ बेचने की बात कर रहें हैँ हम जीवित कैसे रहेंगे!
महेश जी व नैना एक छोटे बच्चे और एक अनपढ़ स्त्री के सवालों के सामने मौन हो गये थे.. ….|


© shweta Singh