श्रापित हवेली और प्यार
Chapter 6: अतीत के पल
हॉल के बीच में रखे विशाल दर्पण के सामने खड़ी अनिका का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। दर्पण में उसकी परछाई जीवंत लग रही थी, जैसे वह उसके विचारों को पढ़ सकती हो। हवेली की हर चीज़ ने अब तक उसके साहस को चुनौती दी थी, लेकिन यह परछाई कुछ अलग थी। यह केवल एक छवि नहीं थी; यह उसके डर, शंकाओं और अनजाने अतीत का प्रतिबिंब थी।
"कौन हो तुम?" अनिका ने दर्पण में देखते हुए पूछा।
परछाई मुस्कराई और बोली, "मैं वह हूँ जो तुमसे छुपा हुआ है। मैं तुम्हारे सवालों का जवाब हूँ, लेकिन इन जवाबों तक पहुँचने के लिए तुम्हें अपनी सबसे गहरी सच्चाई का सामना करना होगा।"
यह दर्पण साधारण नहीं था; इसकी सतह पर अजीब सी चमक थी, जो हर कुछ क्षण में बदलती रहती थी। दर्पण में उसकी परछाई कुछ अलग ही दिख रही थी—जैसे वह जीवित हो। यह केवल एक छवि नहीं थी; यह एक दरवाजा था, जो उसे अतीत और सच्चाई की ओर ले जाने वाला था।
"यह दर्पण... यह मुझे क्यों आकर्षित कर रहा है?" अनिका ने खुद से बुदबुदाया।
तभी एक धीमी, भयावह आवाज़ कमरे में गूँज उठी। "तुम्हारे सवालों का जवाब यहीं छुपा है। लेकिन हर सच्चाई के लिए कीमत चुकानी...
हॉल के बीच में रखे विशाल दर्पण के सामने खड़ी अनिका का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। दर्पण में उसकी परछाई जीवंत लग रही थी, जैसे वह उसके विचारों को पढ़ सकती हो। हवेली की हर चीज़ ने अब तक उसके साहस को चुनौती दी थी, लेकिन यह परछाई कुछ अलग थी। यह केवल एक छवि नहीं थी; यह उसके डर, शंकाओं और अनजाने अतीत का प्रतिबिंब थी।
"कौन हो तुम?" अनिका ने दर्पण में देखते हुए पूछा।
परछाई मुस्कराई और बोली, "मैं वह हूँ जो तुमसे छुपा हुआ है। मैं तुम्हारे सवालों का जवाब हूँ, लेकिन इन जवाबों तक पहुँचने के लिए तुम्हें अपनी सबसे गहरी सच्चाई का सामना करना होगा।"
यह दर्पण साधारण नहीं था; इसकी सतह पर अजीब सी चमक थी, जो हर कुछ क्षण में बदलती रहती थी। दर्पण में उसकी परछाई कुछ अलग ही दिख रही थी—जैसे वह जीवित हो। यह केवल एक छवि नहीं थी; यह एक दरवाजा था, जो उसे अतीत और सच्चाई की ओर ले जाने वाला था।
"यह दर्पण... यह मुझे क्यों आकर्षित कर रहा है?" अनिका ने खुद से बुदबुदाया।
तभी एक धीमी, भयावह आवाज़ कमरे में गूँज उठी। "तुम्हारे सवालों का जवाब यहीं छुपा है। लेकिन हर सच्चाई के लिए कीमत चुकानी...