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मानसिक सीमाओं को लांघकर लक्ष्य प्राप्त करने की विधि
*मानसिक सीमाओं को लांघकर लक्ष्य प्राप्त करने की विधि*

हमारे जीवन के सभी लक्ष्यों की ओर हमारी प्रगति की गति केवल हमारी ही मानसिक सीमाएं धीमा करती हैं। कभी कभी ये मानसिक सीमाएं अत्यन्त ही बाधक बनकर हमारी गति को पूरा ही रोक देती हैं। इन मानसिक सीमाओं से हमें ऊपर उठना अति आवश्यक है। मानसिक सीमाओं से ऊपर उठना एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक कौशल है जिससे हमें स्वयं को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है। एक सीमा या बाधा एक स्व-निर्मित विचार है जो हमारे जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफल होने की दृढ़ संकल्प की शक्ति को कम करता है । उदाहरण के लिए यदि मेरा किसी प्रियजन, जैसे माता-पिता या भाई-बहन या जीवन साथी के साथ रिश्ता टूटा हुआ है। इससे मेरे मन में यह विश्वास पैदा होता है कि मैं एक रिश्ते को अच्छी तरह से संभालने में असफल रहा हूं। इस विश्वास के परिणामस्वरूप मेरे अन्तर्मन में एक नकारात्मक धारणा प्रबल हो सकती है कि रिश्ता कोई भी हो, केवल दुख ही देता है। तब यही धारणा हमारे कर्म व्यवहार में प्रवाहित होने लगती है और जिन लोगों के हम करीब होते हैं उन्हें हम वह...