ये कहानी कालिया की नहीं। उस घोड़े की है...
ये कहानी कालिया की नहीं। उस घोड़े की है जिस पर कालिया सवार है। ये वास्तव में एक घोड़ी थी जिसका नाम इसके मालिकों ने नफरतीती रखा था। नफरतीती एक मिस्री राजकुमारी का नाम है। यानि कोई इज्पिशियन प्रिंसेस हुआ करती थी जिनका नाम था नफरतीती। अलग अलग भाषाओं में नफरतीती का उच्चारण अलग है। जैसे अंग्रेज लोग इसे नैफाटीटी बोलते हैं। अमेरिकी लोग बोलते हैं नैफरटीटी। खैर, तो हमारी कहानी नफरतीती नामक इस घोड़ी से जुड़ी है जिस पर कालिया बैठा है।
शोले की शूटिंग के लिए मुंबई से ट्रक में भरकर 20 घोड़े मंगवाए गए थे। ये घोड़े सप्लाय किए थे बद्री प्रसाद वर्मा ने। ये वही बद्री प्रसाद वर्मा हैं जिनके बेटे जीतू वर्मा और टीनू वर्मा आज के दौर में खासे मशहूर नाम हैं। जीतू वर्मा को हम सोल्जर फिल्म के जोजो के रोल से पहचानते हैं। और टीनू वर्मा को हमने मेला फिल्म के गुज्जर के रोल में देखा है। बद्री प्रसाद वर्मा का काम था फिल्मों के लिए घोड़े सप्लाय करना। शोले के लिए भी उन्होंने ही घोड़े सप्लाय किए थे। लेकिन 20 घोड़े कम थे। रमेश सिप्पी को और घोड़ों की ज़रूरत थी। तब बैंगलोर पुलिस के घुड़सवार दस्ते से कुछ घोड़े किराए पर लिए गए। और कुछ घोड़ों का इंतज़ाम मैसूर रेस क्लब से किया गया। कुल मिलाकर 20 और घोड़े मंगाए गए।
अब मुंबई के घोड़े तो फिल्मों की शूटिंग के लिए ट्रेंड थे। वो एक्शन और कट की कमांड्स को समझ जाते थे। लेकिन ये नए घोड़े शूटिंग वगैरह के आदि नहीं थे। इसलिए शूटिंग के वक्त कई दफा ये घोड़े बिदक जाते थे। और सबसे ज़्यादा बिदकती थी नफरतीती नाम की ये घोड़ी। रेस कोर्स में भागने वाली ये घोड़ी अक्सर तेज़ आवाज़ों, बड़ी...
शोले की शूटिंग के लिए मुंबई से ट्रक में भरकर 20 घोड़े मंगवाए गए थे। ये घोड़े सप्लाय किए थे बद्री प्रसाद वर्मा ने। ये वही बद्री प्रसाद वर्मा हैं जिनके बेटे जीतू वर्मा और टीनू वर्मा आज के दौर में खासे मशहूर नाम हैं। जीतू वर्मा को हम सोल्जर फिल्म के जोजो के रोल से पहचानते हैं। और टीनू वर्मा को हमने मेला फिल्म के गुज्जर के रोल में देखा है। बद्री प्रसाद वर्मा का काम था फिल्मों के लिए घोड़े सप्लाय करना। शोले के लिए भी उन्होंने ही घोड़े सप्लाय किए थे। लेकिन 20 घोड़े कम थे। रमेश सिप्पी को और घोड़ों की ज़रूरत थी। तब बैंगलोर पुलिस के घुड़सवार दस्ते से कुछ घोड़े किराए पर लिए गए। और कुछ घोड़ों का इंतज़ाम मैसूर रेस क्लब से किया गया। कुल मिलाकर 20 और घोड़े मंगाए गए।
अब मुंबई के घोड़े तो फिल्मों की शूटिंग के लिए ट्रेंड थे। वो एक्शन और कट की कमांड्स को समझ जाते थे। लेकिन ये नए घोड़े शूटिंग वगैरह के आदि नहीं थे। इसलिए शूटिंग के वक्त कई दफा ये घोड़े बिदक जाते थे। और सबसे ज़्यादा बिदकती थी नफरतीती नाम की ये घोड़ी। रेस कोर्स में भागने वाली ये घोड़ी अक्सर तेज़ आवाज़ों, बड़ी...