...

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हिरण की अंतरात्मा की आवाज।
हिरण - छोड़ो, छोड़ो मुझे, कहां ले कर जा रहे हो। मुझे अपने परिवार के साथ रहना है। मुझे कहीं नहीं जाना।

जंगल का अधिकारी -
तुम्हें जाना ही होगा । ऊपर से हुक्म आया है की अच्छे मोटे ताजे हिरनों को पकड़ कर लाओ। सुबह से शाम हो गई और अब जाकर तुम पकड़ में आए हो। कितनी मेहनत करनी पड़ी है तुम्हें पकड़ने के लिए। क्या तुम्हें पता है?

हिरण-
पर पकड़ना ही क्यों है? क्या चाहिए तुम्हे मुझ जैसे बेजुबान और मौसूम प्राणी से?

अधिकारी -
तुम्हें किसी का भोजन बनना है आज रात।

हिरण -
भोजन, कैसा भोजन, किसका भोजन। अरे भाई,...