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एक तरफा रिश्ता जी का जंजाल होता है।
जया आज सुबह-सुबह ही अपने मां पर बरस पड़ी थी। क्यों मां क्यों जब उन लोगों को तुम्हारी कोई क़दर नहीं है। तो तुम क्यों उनके पीछे पड़ी रहती हो ..?क्यों हर साल तुम ही उनके नाम की राखियां खरीदती हो और उन्हें हर बार भेजती हो । वो लोग तो कभी तुम्हें एक फोन तक नहीं करते हैं ।ना ही कभी तुमसे मिलने आते हैं । और ना ही कभी तुम्हें अपने घर बुलाते हैं। फिर तुम उनके लिए इतनी चिंता क्यों करती हो...?? क्यों रोती बिलखती लगती और उनके लिए दुआएं मांगती हो ...??
हम लोग तो है ना तुम्हारे पास पापा,भाई और मैं
फिर तुम क्यों हर साल आज के दिन उदास हो जाती हो..? क्यों उन लोगों के लिए अपना दिन खराब करती हो जिन्हें तुम्हारी कोई परवाह ही नहीं..?? आखिर कब तक तुम एकतरफा रिश्ता निभाती रहोगी...?? जय की बातें सुनकर अनसूया जी ने रोते हुए कहा भाई है वह मेरा...!!
जया ने उनकी बात को बीच में काटते हुए ही कहा वही तो मां वह भाई है तुम्हारा ..! तो क्या तुम उनकी बहन नहीं हो ...?यह कैसा रिश्ता है तुम्हारा उनके साथ..?
कभी उनको भी तो रिश्ते निभाने का मौका दो क्यों हर बार तुम्हीं उन्हें राखी भेजती हो फिर मैसेज करती हो और फिर उन्हें फोन भी तुम्हीं करती हो...!!
आज तक मैंने तो कभी नहीं देखा मामा मामी के स्टेटस में तुम्हारा फोटो..!! पर तुम तुम उनके फोटो अपने फोन में ऐसे चिपकाती रहती हो ।जैसे दुनिया में तुम्हारे लिए सबसे अच्छा रिस्ता तुम्हारा उन्हीं के साथ है।
मां तुम चाहे लाख कोशिश कर लो वो लोग कभी नहीं सुधरने वाले हैं। मेरी एक बात मानो तुम भी थोड़ा जमाने के साथ चलना सीख लो। तब तुम्हें इतनी तकलीफ नहीं होगी। तुम्हें पता है ना हम लोग तुम्हें रोते हुए नहीं देख सकते फिर भी हर साल त्योहार पर तुम जरूर से रोती हो। जिन्हें तुम्हारी कोई परवाह नहीं तुम उनके लिए इतना बेचैन क्यों रहती हो। मैं तुम्हें आज एक कहानी सुनाती हूं।
ऑफिस में मेरी एक सहेली है जिसका नाम सोनम है।हम लोग उसे सोना कह कर बुलाते हैं। बिल्कुल तुम्हारे ही जैसी है वह अपने भाइयों पर जान छिड़कती है पर उसके भाइयों को उसकी कोई परवाह ही नहीं है। बाजार में जब राखियां मिलती भी नहीं रहती है।उस वक्त ऑर्डर देकर
वह राखियां मांगवाती है। जिस कारण उसकी राखियां सबसे महंगी होती है। और हर बार बड़े प्यार से अपने भाइयों को भेजती हैं। मग़र उसका भाई आज तक उसे उसकी राखी के बदले एक चॉकलेट तक नहीं देया है। उससे मिलना उससे बातें करना तो दूर की बात है। कभी एक फोन भी नहीं करता है। वह भी पांच भाइयों की इकलौती बहन है।इस साल उसके सब्र का बांध भी टूट गया।जब उसने देखा कि आज राखी के दिन सुबह से शाम हो गई पर उसके भाइयों ने उसके साथ एक फोटो तक शेयर नहीं किया ना ही यह जानने के लिए फोन ही किया कि सोना ने उसे फोन क्यों नहीं किया..??और इतना ही नहीं अपने दोस्तों और दूसरे रिश्तेदारों की खूब सारी फोटो उसने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था। हर साल तो वह अपने भाइयों की खूब सारी फोटो स्टेटस में लगाती थी।
मगर आज कल ऑफिस में थोड़ी परेशानी चल रही है।काम की वजह से तो उसे ध्यान ही रहा स्टेटस डालने का!! तो भाइयों ने अपना रंग दिखा दिया। अपने भाइयों की ऐसी हरकतें देखकर वो पहले तो फूट-फूट कर खूब रोई मग़र फिर स्वयं को संभालते हुए कहने लगी अब मैं एक तरफ रिश्ता नहीं निभाऊंगी। अगर मेरे भाइयों को मुझ से जरा सा भी स्नेह होगा तो वो मेरे पास जरुर आएगे मुझ से राखी बंधवाने।
और अगर वह नहीं आये तो मैं भी अब कभी उसे राखी नहीं भेजूंगी। जो रिश्ता घुटन बन जाए उसे तोड़ देना ही अच्छा होता है। ताकि हम खुलकर सांस ले सकें...!
सोना तो संभल गई मां तुम भी संभल जाओ ...!!
जबर्दस्ती के रिश्ते तुम क्यों ढो रही हो....?
यह दुनिया उसकी कदर कभी नहीं करती जो दूसरों की कदर करती है। बल्कि उसकी कद्र करती है जो खुद की कदर करना जानती है।।
किरण