alfazmere
कुछ हासिल ना था जब भोर हुई
तेरी यादों में उलझे रहे सारी रात
नमी आँखों की कोरों पर सूखी थी
ना जाने क्यू झगड़ते रहे सारी रात
लफ़्ज़ जम से गए है सर्द आहों में
बिखरे जज़्बात रोते रहे सारी रात
हयाती गुज़र जाएगी अब सजदे में
रहेगी चर्चा ए इश्क़ जवाँ सारी रात
© Nitin Pandey
तेरी यादों में उलझे रहे सारी रात
नमी आँखों की कोरों पर सूखी थी
ना जाने क्यू झगड़ते रहे सारी रात
लफ़्ज़ जम से गए है सर्द आहों में
बिखरे जज़्बात रोते रहे सारी रात
हयाती गुज़र जाएगी अब सजदे में
रहेगी चर्चा ए इश्क़ जवाँ सारी रात
© Nitin Pandey