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एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में है।।242
🔴अस्तित्व की आसीमता को सून्य घोषित कर दिया गया है कैसे,कब, कयो कहा,किस लिए, किसके लिए।।
संगति।
🔴"अस्तित्व वरदान जब स्त्रीत्व बनकर हुआ शून्यविध्वंशक"।।तो तब जन्म लिया शून्यविध्वंशकीय बनकर हुई आलोचना का पात्र।।
🔴शून्यनिका शून्यनिकाविध्वंकीय कयो बनकर आलोचना का पात्र कहलाई जाती है।।-समाज कालविभक्तिश्रोथ व विभकितश्रोत क्यों शून्यनिकाविध्वंकीय आलोचना की योनि में क्या उसके अस्तित्व की आसीमता नहीं है।।

🔴अस्तित्व किस तरह शून्यनिकाविध्वंकीय असतिवत्व व
शून्यविध्वशंक स्त्रीत्व का कालश्रोथ व विभकितश्रोत की योनि की आसीमता को उजागर व निरंतर जारी व बरकरार रखेगा जिससे कालचकृ द्वारा संचालित मिशन असंभव में ही संभव तथा अनन्त से अन्त में होकर अलौकिक व परिवर्तित हो जाती है।।
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