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Rakhi
शादी के बाद मेरी पहली राखी थी । मैं नागपुर में थी। मेरे दो भाई हैं,मैं सबसे छोटी हूं ।बड़े भाई नहीं आ पा रहे थे लेकिन छोटे भाई एक दिन के लिए आ रहे थे। मैं बैठी सोच रही थी कि क्या-क्या बना लूं । पहले तो बस तैयार हो कर राखी की थाली सजा कर भाईयों का इंतजार करती थी कि वह कब सो कर उठे और आए लेकिन दोनों भाई हमें परेशान करते थे कि देखे कब तक भूखी रह सकती है।उपहार भी ऐसा लाते थे जो उनके काम का होता था। मैं मम्मी से शिकायत करती थी देखो मम्मी भाई परेशान कर रहे हैं फिर उन्हें डांट पड़ती थी कि चलो जल्दी तैयार हो कर आ जाओ कब तक भूखी रहेगी।
आज भाई आ रहा है तो मैं सोच रही हूं कि क्या-क्या बना लूं पहली बार आ रहे हैं तो कुछ तोहफा क्या दू उसे कोई तकलीफ़ नहीं होनी चाहिए। भाई भी आया तो उसे मेरी चिंता थी कि बहुत देर हो गई है, ट्रेन लेट हो गई थी । बोले तुम पहले राखी बांध दो तुम व्रत होगी बाद फ्रेश हो जाऊंगा । उपहार भी मेरे मनपसंद का था उस दिन मेरी आंखों में आंसू आ गए कि शादी के बाद हम भाई-बहन के प्यार में कितनी गंभीरता आ गई एक दूसरे कि चिंता थी। लड़ाई-झगड़े के बजाय एक दूसरे के प्रति आदर भाव था।
आज मुझे पुराने दिन याद आ रहे हैं जब हम भाई-बहन आपस में झगड़ते थे लेकिन प्यार भी बहुत करते थे आज भी करते हैं पर कहीं न कहीं उस प्यार से भरे झगड़े ने औपचारिकता की जगह ले ली है ।

रक्षाबन्धन की ढेर सारी शुभकामनाएं।