...

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सोंधी माटी





अरे बिरजू तुझे पता है अपने गाँव में कमली का बेटा पढ़ लिख कर दरोगा बन गया है देखना अब ज़ालिम सिंह से अपनी खेत को गिरवी से छुड़ा लेगा।

बिरजू अरे हाँ रे शामू कोई सोचा नही था की कमली भी अपने बेटे को इस काबिल बना देगी।

अरे कमली तो ज़ालिम सिंह के यहाँ अपनी थोड़ी जमीन थी वो भी गिरबी रख दी थी।
केशव को पढ़ा कर अफसर बनाने के लिए
और ज़ालिम सिंह अपने नाम के जैसा ही कितना ज़ालिम था
कुछ पैसों के बदले कमली की जमीन को हड़प लिया था ।
तुझे तो पता ही है न।

शामू हाँ बिरजू कितनी बेचारी मिन्नत की थी लेकिन ज़ालिम सिंह को दया नही आई।

बेचारी जैसे तैसे करके अपने बेटे को उसने इस काबिल बना दिया
. हाँ शामू तू सही कह रहा है।


कमली की हिम्मत के आगे भगवान भी उसकी सुन ली और आज तो उसकी मेहनत की सोंधी सोंधी खुशबू से उसकी मिट्टी का घर भी महक जाएगा।

बिरजू पेड़ पर बैठे बैठे शामू से बातें कर रहा था

तभी सड़क पर मोटर कार की आवाज सुनकर दोनों धड़ाम से कूद कर
अरे लगता है कोई आया है अपने गांव में चल देखते हैं।

बिरजू अपने गमछाको कांधे पर रख कर शामू के साथ मोटरकार वाले के पास आता है।

तो उसकी ऑंखें फटी की फटी रह जाती है।

कमली का बेटा केशव एकदम सूट बूट में बैठा है मोटरकार में
केशव बिरजू और शामू को देख कर मुस्कुराते हुए
अरे काका पाँव लागूं
बिरजू और शामू की जुबान जैसे अटक सी गई
जुग जुग जियो दोनों हकलाते हुए केशव को आशीर्वाद देते है और मोटर कार में झंकाते हुए।

अरे बेटा तू केशू है न कमली का बेटा।

केशव मोटरकार से निकल कर अरे हाँ काका आपने पहचाना नही
बिरजू और शामू अरे नही बेटा
गांव से जब कमली तुझे भेज दी थी तो तू छोटा था न।

केशव अरे काका आप से बाद में बात करता हूँ पहले अपनी मैया से मिल कर आता हूँ।
मैया कितने सालों से मेरी राह निहार रही होगी।

बिरजू शामू दोनों अरे हाँ बेटा चल चल।

कमली की ऑंखें तो तेरे लिए तरस सी गई है।

बेचारी की आज तपस्या का फल मिल गया।
ज़ब हम सब को तेरे अफसर बनने की खबर मिला तो।

तू अपने गाँव और अपनी माँ का नाम ऊँचा कर दिया बेटा ।

केशव अरे नही काका ये तो सब मैया का आशीर्वाद है।

बिरजू और शामू केशव के साथ उसके घर आते और आवाज लगाते है

अरे कमली कहाँ है तू देख आज किसे लेकर आया हूँ तेरे दरवाजे पर।
कमली अपनी झोपड़ी से खाँसते हुए बाहर आते हुए कहती है ।

मेरा केशू तो नही आया है।

बोल न बिरजू तू चुप क्यों है।

बिरजू हँसते हुए देख तो अपना केशव देख कमली दरोगा बन गया है
एकदम वर्दी में आया है।

कमली अपने जिगर को अपने सामने देख कर उसकी आँखों से बरसात होने लगती है

केशव अपनी मैया के पाँव छूकर गले लगता है,

और कहता है चल माई पहले जमीन ज़ालिम सिंह से वापस
लेकर आते हैं।

कमली हाँ बेटा हम इसी दिन का इंतजार कर रहे थे।

वो तेरे बाप दादा की एक मात्र निशानी थी जिसे ज़ालिम सिंह ने
जबरदस्ती मुझसे हड़प लिया था उसके मुँह में कीड़े पड़ेंगे।

दोनों माँ बेटा ज़ालिम सिंह के घर जाकर पैसे देकर अपने खेत वापस लेते हैं और
कमली केशव का हाथ छोड़ कर बड़ी फुर्ती से अपने खेत की मिट्टी को चूमती है
तभी जोर जोर से बारिश होने लगती है अपनी खेत की सोंधी माटी की खुशबू से केशव और कमली आत्मविभोर हो जाते हैं।

और दोनों एक दूसरे से लिपट कर अपनी खेत की सोंधी सोंधी माटी की खुशबू को महसूस करते हैं और आँखों से खुशियों की बरसात देख कर बिरजू और शामू की भी ऑंखें भर आती है उनके दुःखो के दिन याद करके।
समाप्त।