...

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चाहत🥰
समुद्र जितनी चाहत रखी है आज भी मैने,... ये सोचकर कि जब भी तुम किनारे पर खड़े हो जाओ तो इसकी लहरों का बहाव तुम्हें बताएगा कि कबसे ये इंतजार में थी तुम्हें देखने के।
जब भी इसके पानी को तुम छुओगे मानो जैसे इन लहरों की आवाज़ में तुम्हें एक राग सुनाई देगा...
कहने को इस समुद्र का पानी खारा है, क्योंकि जब चाहत और इंतजार एक साथ रहे है तो बखूबी ये आसुओं के बह जाने से खारा रहा होगा।
अब इसमें उठने वाले तूफान के लिए क्या ही कहूं तुमसे मैं, बस ये समझो कि जब भी चाहत बढ़ी मेरी तुम्हें देखने कि तो मानो जैसे दौड़ना चाहा कि किनारे पहुंच तुम्हें छू लूं, भीगा दूं तुम्हें पूरी तरह अपनी चाहत से..।
हां इसमें बहुत सी कश्ती है जो डूब जाती हैं, वो इसलिए क्यूंकि ये समुद्र सिर्फ़ तुम्हारी ही कश्ती के इन्तजार में है।
मैं जानती हूं, हमेशा तुम मेरे पास इस किनारे पर नही बैठे रहोगे पर बस इतना चाहती हूं कि जब भी तुम खुद को अकेला पाओ तो इसके किनारे आकर तुम्हें यही लगेगा कि आज भी वो मेरे उतनी ही पास है....🧜🌊🚶.....
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© Preeti saini (P.S)✍🏻