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भाषा!
मनुष्यों को अपने भाव व्यक्त करने का एक माध्यम ही तो है भाषा । फिर जाने कैसे एक भाषा दूसरी से इतनी अच्छी हो गई , मुझे कभी समझ नहीं आया।
जब मैं गांव में रहती थी तो मेरे गांव की कुछ लड़कियां जो अपने माता पिता के साथ दिल्ली आ गईं।
जब वापस गांव गईं तो जो गांव में बोली जाने वाली भाषा थी वो भूल चुकी थी लगभग एक साल में ही।
वो हिंदी बोलने लगीं थी इंग्लिश मिला कर वाली।
उन्हे लगता रहा की वो गांव में रह गई तमाम लड़कियों से बेहतर हो गई हैं।
और मुझे उन पर तरस आता था, बेचारी का दिमाग कितना कमजोर है जो 15–16 साल बोला उसे भूल गईं वो भी इतनी जल्दी, ऐसे कैसे?
मैं लगभग छठी सातवीं कक्षा में थी उस वक्त। उनके इस व्यवहार की वजह से गांव की अधिकतर...