...

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My Soul and I
उस शाम जिंदगी से परेशान सा कुछ, तनाव के चलते बहुत थक सा गया था। लग रहा था जैसे सब कुछ छीन सा गया हो ।
उन कुछ पिछले दिनों मै काफी
चिड़चिड़ा सा रहता था जिस किसी से देखता गुस्से में ही बात करता..
जिस किसी से बाते चलती गरमा गर्मी हो जाती
पता नहीं अंदर से कुछ परेशान सा हो रखा था
या यूं कहो की शांति नहीं मिल रही थी
फिर एक दिन सुबह पता चलता है जिस पर मै इतना विश्वास करता था वो ही मुझे धोखा दे रहा था
बात अंदर तक चुभ सी गई
मै उस बात से दुखी था ही कि किसी ने नौकरी को लेकर तंज़ कस दिया
गुस्सा तो इतना आया की पूछो मत

और फिर उसी शाम मेरी बहस मेरे एक अच्छे दोस्त से हो गई इतनी की हमारी हमेशा हमेशा के लिए बात बन्द हो गईं
इस घटना ने मानो आग में घी का काम कर दिया था
बस फिर क्या था ।
अगली पिछली
सब बाते मानो दिमाग में घूमने लगी , सिर फटने को हो रहा था । मै अपने घर की छत पर था
जैसे कैसे अपने रूम का दरवाजा खोला और बेड पर जा कर लेट गया।
उधर मम्मी ने तेज आवाज में बोला खाना बना दिया है खा लेना मै पड़ोस में जा रही हूं गुप्ता जी की बेटी के शादी के गीत है
मैंने जैसे कैसे हिम्मत जुटा कर चिड चिडे स्वभाव से बोला
हा ठीक है मै खा लूंगा
जाओ आप
मम्मी चली गई
घर पर कोई नहीं था। पापा बाहर गए हुए थे
इधर एक तो मै बेहद परेशान उपर से इतना अकेला महसूस कर रहा था । क्योंकि जिससे अपनी परेशानी बता दिया करता था गम भूल जाता था उससे तो हमेशा के लिए बात ही बन्द हो चुकी थी
बहुत परेशान सा था ऐसा मन हो रहा था कि बस चिल्ला दू बहुत तेज़ ।
इतना गुस्सा आया कि हाथ दीवार में मारने लगा
आंखे गीली हो चुकी थी
मैंने अपनी दोनों मुठ्ठी भिची और एक जोर से पैर जमी पर मारा और हलकी सी आवाज में चिल्लाया

सब भाड में जाओ कोई समझता ही नहीं है
बस खुद की पड़ी रहती है सभी को

मै अपने बेड पर जा कर लेट गया
और मै बस ख़ामोश लेटा रहा और आंखो से आंसू निकल रहे थे दोनों हाथो की मुठ्ठी भिच रखी थी और जितना रोया जा सकता था रो रहा था पर वहां मुझे चुप कराने वाला कौन था कोई भी नहीं
आज बहुत दिनों में इस तरह रो रहा था सारी अगली पिछली बाते दिमाग में घूम रही थी और जैसे जैसे वो बाते याद आती और तेज़ से रोना आता
कुछ समय बाद थोड़ा चुप सा हुआ मेरे कानो में बस

Ssssssssssss
की आवाज घूम रही थी

मै दोनों कानो पर अपने हाथ रख कर बेड से उठा
पर कमजोरी इतनी महसूस हो रही थी कि चला ही नहीं का रहा था तो मै पास
में रखी एक मेज के सहारे खड़ा हो गया
मैंने दोनों हाथो से मेज का किनारा पकड़ रखा था
चक्कर आ रहे थे २ दिन से कुछ खाया भी नहीं था
उपर से दिमाग में टेंशन ही टेंशन
मुझसे खड़ा नहीं हुआ गया और मै बेड पर लेटने चला
जैसे ही मै बेड की तरफ चला
धड़ाम।

फर्श पर गिर गया

शरीर में तो मानो जान ही नहीं थी

जैसे कैसे उठा और सरक कर कमरे के कोने में जाकर
दीवार के सहारे लग कर बैठ गया
जब फर्श पर नज़र पड़ी तो
वहां खून पड़ा था
मैंने कुछ सिर पर गीलेपन का अहसास किया
हाथ लगा कर तो देखा जो
खून वहीं से बह रहा था

घर पर कोई भी नहीं था जिसे बुला लू।

और मै बस वहीं बैठा रहा
मै कब बेहोश हुआ मुझे पता ही नहीं चला




जब आंख खुली तो एक वीराने से जंगल में खुद को पाया
चारो तरफ घना अंधेरा
ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ
की आवाजे सुनाई पड़ रही थी
काफी डर गया था आखिर मै यहां पहुंचा कैसे
कोई पत्ता भी हिलता तो लगता कोई आ गया है
मेरे तो शरीर का पानी हो चुका था
मैंने हड़बड़ाहट में सिर पर हाथ लगाया
तो देखा कोई चोट नहीं लगी मुझे


पहले लगा ये एक सपना तो नहीं
अपने बाएं हाथ पर एक चुटी काटी

तो दर्द के अहसास हुआ
अब इससे ये बात तो तय हो चुकी थी
की ये कोई सपना नहीं है
पर अब मुसीबत ये थी कि यहां से निकलू कैसे
एक कदम बढ़ाते भी डर लग रहा था
जैसे कैसे हिम्मत बढ़ाई और आगे चलने लगा
थोड़ी दूर चला हूं था की सामने से एक बड़ा सा जानवर दिखाई दिया बस उसकी आंखे चमक रही थी



मुंह से बचाओ बचाओ भी चिल्लाऊं तो कैसे
मुंह से एक शब्द भी निकाला ना जाए
वो धीरे धीरे मेरी तरफ बढ़ने लगा
उसका एक एक कदम बढ़ाना मुझे मौत के नजदीक ले जा रहा था ।
समझ नहीं आरा था कि भागू तो कैसे भागू मुझसे तो हिला भी नहीं जा रहा था
फिर उसने
ऊऊऊऊऊउ ऊऊऊऊ ऊऊऊऊऊ
बहुत तेज़ी से रोदन किया मुझे उस समय कुछ भी समझ नहीं आ रहा था
हां
मुझे इतना तो समझ आ गया था कि आज मेरा आखिरी दिन है
जैसे जैसे वो मेरे नज़दीक आता
मेरे कदम अब पीछे हटने लगे थे
वो अचानक से मेरी तरफ दौड़ पड़ा
और मै दोनों हाथो को सिर पर रख......
की आवाज करता हुआ वहीं बैठ गया

आआssssssssss

थोड़ी देर बाद सिर उठा कर देखा तो आस पास कोई नहीं था
जैसे कैसे उठा हांफता हुआ

हहहहहहह.....


अब मै और भी सहम गया था
समझ नहीं आ रहा था कि आगे बढ़ना भी चाहिए या नहीं
या पीछे चला जाऊ या बाएं या दाए
थोड़ी देर के बाद मुझे लगा जो कि शायद आगे जाना ही सही रहेगा
मै डरता डरता थोड़ी दूर चला ही था कि मुझे थोड़ी दूर पर एक घर दिखाई दिया
पहले मुझे थोड़ी खुशी हुई और मै तेज़ी से उस घर की तरफ बढ़ने लगा
फिर अचानक रुक गया और सोचा क्या पता अंदर कौन हो
कोई चुड़ैल हुई, कोई जानवर हुआ तो
ये वो .......

अब मेरे पास उस घर में जाने के सिवा और कोई विकल्प भी तो नहीं था
मै डरते डरते उस घर के नज़दीक गया
घर बहुत पुराना लग रहा था एक दम खंडहर जैसा
दरवाजे पर जाले लगे हुए थे
मैंने जाले हटाए और दरवाजा खोला
और एक दम नीचे बैठ गया

आआआआआआssss....

बहुत सारे चमगादड़ मेरे मुंह पर जो पड़े थे
तेज़ी से सांस लेता हुआ मै जैसे कैसे उठा
हिम्मत सी बढ़ा कर अंदर गया

मै जैसे ही अंदर गया मेरे पैर से कुछ टकराया
मैंने धीरे धीरे नीचे झुका और उसे उठा लिया
और उठाने पर पता चला कि वो एक टॉर्च थी
मैंने बटन दबाया पर वो जल नहीं रही थी
मैंने उसको खूब झटका पर वो नहीं जली
शायद उसके सैल खराब हो चुके थे

मैंने गुस्से में आकर उसे अपने बाएं हाथ की हथेली पर जोर से पटका तो
एक दम वो जली और बुझ गई
जैसे तैसे उसे मैंने जलाया।
चारो तरफ देखा तो जाले लगे हुए थे
पूरा घर लकड़ी से बनाया हुआ था

मै धीरे धीरे अन्दर की ओर बढ़ने लगा
तो वहां रखी एक मेज पर मुझे एक बड़ा सा कागज दिखाई दिया मुझे लगा शायद ये कोई नक्शा हो
उसके ऊपर खूब धूल जमी हुई थी

मैंने मेज पर लगे जाले हटाए , और उस कागज पर जमी धूल साफ की ।
मैंने जैसे कागज खोला तो देखा वो सच में एक नक्शा ही था
पर मेरा दुर्भाग्य ये तो की वो आधा था फिर मै तेज़ी से इधर उधर उसका आधा भाग ढूंढने लगा मैंने मेज की ड्रॉ खोलनी चाही पर वो बन्द थी
मै टॉर्च इधर उधर डालता हुआ
उसका आधा हिस्सा ढूंढने लगा
अचानक से मुझे वहां एक कमरा नजर आया और मै उसकी तरफ बढ़ा
मै ये सब बिल्कुल भूल चुका था यहां कोई और भी हो सकता है बस माइंड में नक्शा ही चल रहा था
मैंने कमरे के दरवाजे पर लगे जाले हटाए
उधर ये टॉर्च मुझे परेशान कर थी थी
उउउउउउउउ....हहहहह....
दरवाजा खोलते ही सारी धूल मेरे मुंह पर पड़ी
मै कमरे मै अंदर गया और टॉर्च से पूरे कमरे को देखने लगा
जैसे ही मेरी टॉर्च एक कोने पर पड़ी
वहां पर कोने में कोई बैठा था

मैं बिल्कुल शिथिल हो गया मैं बस भाग जाना था
हहहहहहह.....

गिरता पड़ता कमरे से निकल कर उस घर से ही बाहर की तरफ जाने लगा

मै जैसे ही बाहर की तरफ बढ़ा
घर के दरवाजे खुद बन्द हो गए
मैंने बहुत बार हाथ दरवाजे पर मारे
धबधबधबधबधब.........

पर वो नहीं खुले

मेरी मेरी सांसे फूल रही थी
मेरी आंखो में पानी आ गया था
मै बहुत तेज़ से चिल्लाया

कोईईईईईईईईई हैहैहै.......
बचाओ बचाओ बचाओ

मैंने टॉर्च उस कमरे की तरफ ही रखी
मुझे डर लग रहा था कि कहीं वो उस कमरे से निकल कर बाहर ना आ जाए

बस दिमाग मे ये ही चल रहा था मै कहा आ गया आखिर मैं तो अपने घर में था अब क्या करू कहा जाऊ
पर मेरे अलावा वहां कोई मेरी सुनने वाला था भी कहा

काफी देर मै दरवाजे के सहारे लग कर वहीं बैठा रहा और बस उस कमरे की तरफ टॉर्च किए उस कमरे को देख रहा था
जब मुझे काफी समय ऐसे ही हो गया

कब तक ऐसे बैठे रहता
मै डरता डरता उस कमरे की तरफ बढ़ा जैसे
ही कमरे में अंदर गया
धड़डड.........
उस कमरे के दरवाजे भी खुद ही बन्द हो गए
मैंने
धबधबधबधबधब.........
बहुत कोशिश की पर वो दरवाजा भी नहीं खुला
अब मुझे लग रहा था इससे अच्छा मै बाहर ही था
मैंने उस कोने में टॉर्च घुमाई जहा वो लड़का मैंने बैठे देखा था
वो अभी भी वही बैठा था
वो कोने में अपने घुटनों के बीच सिर दिए बैठा था
मैंने उससे बहुत गुस्से में तेज़ आवाज में पूछा
कौन...... कौन हो तुम
क्या चाहते हो मुझसे
क्या बिगाड़ा है आखिर मैंने तुम्हारा

पर उस तरफ से कोई आवाज नहीं आयी
मुझे लगा ये मरा हुआ तो नहीं है
पर फिर दरवाजे खुद से कैसे..
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था

मैंने गुस्से में आकर वहां पर रखा एक छोटा सा डिब्बा उस पर फेक कर मारा
पर वो डिब्बा उल्टा मुझे ही आके लगा
धबबबब........
टककक..... (टॉर्च के गिरने की आवाज )

मैंने जैसे कैसे उठा इधर उधर हाथ फेर कर और जल्दी जल्दी टॉर्च ढूंढने लगा
जैसे ही टॉर्च मिली
मैंने उसी कोने में देखा
वो अभी भी ऐसे ही बैठा था
मेरे माथे से कुछ बह रहा था मैंने हाथ लगा कर देखा तो वो खून था
पर मुझे उस दर्द का बिल्कुल भी आभास नहीं था
बस खून बह रहा था
मै और गुस्से में तेज़ी से चिल्लाया
क्या चाहते हो तुम मुझसे
मारना चाहते हो तो मार दो
और मै फिर रोते हुए नीचे बैठ गया
और बोल रहा था
आखिर क्या बिगड़ा है मैंने
प्लीज मुझे जाने दो

मै नीचे मुह किए रोएं जा रहा था
मेरा एक हाथ टॉर्च पर था जो कि जमीन पर पड़ी हुई थी
और दूसरा हाथ जमीन
मैंने जैसे ही सिर ऊपर किया
उसने भी अपना सिर ऊपर किया
उसका चेहरा देख के
मै बहुत ज्यादा डर गया था
मेरे मुंह से कोई आवाज नहीं निकल रही थी



मै पीछे सरकते हुए
ऐसा ऐसा कैसे हो....
हो सकता है
तुम तुम मेरे..........मेरी आवाज गायब......

वो वो जो सामने लड़का था वो बिल्कुल मेरी ही शक्ल का था
उसके मुंह पर शरीर पर काफी चोट के निशान थे

उसने बोला डरो मत मै तुम्हे कुछ नुकसान नहीं पहुंचाऊंगा
तुम तो मेरे दोस्त हो
ये सुनकर मै अचंभित रह गया
पर कुछ भी हो मुझे कुछ हौसला मिला
लगा कि शायद ये मेरी मदद करेगा यहां से निकलने में

मैंने उससे कहा ठीक है
मुझे ये बताओ मै यहां से निकलूं कैसे

ये सुन कर वो
मुस्कराने लगा
उसकी आँखें भर आयी

उसे एसे रोता देख पता नहीं मेरी आंखे भर
मेरे मन मे उसके प्रति एक हमदर्दी सी हो उठी
एसा लगा जैसे वो मेरा कोई अपना हो
मेरा उसे गले लगाने का मन कर खूब रोने का मन कर रहा था

मैंने खुद को सम्भाला
एक लंबी सी साँस ली

हहहहहहह.....
मैंने पूछा क्या हुआ तुम रो क्यों रहे हो कौन हो तुम

हमशक्ल ; बड़ी देर लगा दी तुमने आने में ( धीरे स्वर में रोता हुआ हहहहहहह.....)

मैं बस उसे देख रहा था
मेरे दिमाग ने तो मेरा साथ कब का छोड़ दिया था

वो धीरे से मेरी तरफ बढ़ने लगा
और मैं उसका रोता चेहरा देख मैं रोये जा रहा था

वो मेरे पास आकर खड़ा हो गया
मैंने रोते हुए स्वर में
उससे पूछा
तुम कौन हो ये चोट किसने मारी है तुम्हें
यहां कैसे पहुंचे तुम..

वो भरी आंखे से मेरी आँखों में देख रहा था और बोला
ये चोट मुझे तुमने ही दी है
मै हक्का बक्का हो कर
क्या क्या मैंने
मैंने कब
मै तो मिल भी आज पहली बार रहा हूं तुम से
और तुम मेरे बिल्कुल मेरे जैसे कैसे दिख सकते हो
मैंने तो तुम्हे कभी देखा ही नहीं

वो मेरी तरफ बहुत शिकायत के स्वभाव से देख रहा था
ये देख के मै थोड़ा सा शिथिल पड गया
मैंने दबी आवाज में कहा
क्या हुआ

उसने धीरे से हाथ उठाया और मेरे कंधे पर रख दिया


और मेरा मस्तिष्क सुन हो गया कुछ दिखाई नहीं दिया बस अंधेरा ही अंधेरा दिख रहा था

आंख खुली तो मै अस्पताल में था
मुझे operation theatre
ले जाया जा रहा था
एक तरफ मेरे मा पापा रो रहे थे
और साथ साथ चल रहे थे मुझे एक खून की बोतल लगी हुए थी
मझे कुछ समझ नहीं आ रहा था ये अचानक से मै यहां कैसे
मै पूछना चाहता था सब कुछ पर मुझसे कुछ बोला नहीं जा रहा था
और मै चुपचाप पड़ा रहा बस मेरा दिमाग चल रहा था
बाकि कोई अंग काम नहीं कर रहा था

अब मै ऑपरेशन थियेटर के अंदर था
मेरे साथ ये सब क्या हो रहा है. मैं वहां कैसे गया, वो लड़का कौन था, मैं यहाँ कैसे आया, सब समझने की कोशिश कर रहा था

और मुझे सब धीरे धीरे समझ आने भी लगा


आखिर वो कौन था
वो मै ही था
वो कोई जंगल नहीं मेरा अपना ही हृदय था
पूरी लाइफ मेरे सामने एक मूवी के जैसे चल रही थी
मैने देखा कि मैंने कभी खुद के साथ समय बिताया ही नहीं
हमेशा प्यार दोस्त रिश्तेदार नौकरी इन्हीं सब में उलझा रहा
कभी २ पल साथ बैठा होता तो आज यहां ये हालत ना होती
मेरी आंखो से आंसू निकल रहे थे
मेरा दिल रुकता जा रहा था
डॉक्टर इलेक्ट्रिक शॉट दे रहे थे ताकि धड़कन दोबारा सही से चल पड़े
मेरे दिमाग में चल रहा था कि बस एक बस एक मौका मुझे मिल जाए
मै जीना चाहता था, मैं खुद के साथ समय बिताना चाहता था
जो गलतियां की थी उन्हें ठीक करना चाहता था
पर शायद तब तक बहुत देर हो चुकी थी
और मेरी आंखे हमेशा हमेशा के लिए बन्द हो गई।।।













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