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श्रेष्ठ, स्वस्थ और निष्कलंकित वैश्विक समाज की स्थापना
*श्रेष्ठ, स्वस्थ और निष्कलंकित वैश्विक समाज की स्थापना*

सम्पूर्ण विश्व अनेक प्रकार की विविधता से सजा हुआ है जहां अनेक धर्म हैं, अनेक भाषाएं हैं, विभिन्न संस्कृतियां हैं, वेशभूषाएं हैं और रहन सहन के तरीके भी अलग अलग हैं । इन सबके मध्य रहते हुए हम सुख, शान्ति, आनन्द और खुशियों से सम्पन्न जीवन जीने की अभिलाषा रखते हैं । हम सभी एक दूसरे से सुख, आनन्द और खुशियां साझा करते हुए जीवन बिताना चाहते हैं। तभी तो घर परिवार में आयोजित होने वाले मांगलिक कार्यों में हम अपने मित्र सम्बन्धियों को आमन्त्रित करते हैं । मतभेद रहित वातावरण में सभी के साथ प्यार व सम्मानपूर्वक एक बड़े परिवार में रहना हर मनुष्य की सात्विक और विशुद्ध अभिलााषा है । सभी लोगों के हृदय में यह चाहत अवश्य होती है कि सारी दुनिया सुख, शान्ति, प्रेम और आनन्द से भरपूर हो अर्थात् स्वर्ग बन जाए । इस शुभाकांक्षा को साकार करने के लिए विश्व इतिहास में कई लोगों ने सुख, शांति, प्रेम और आनन्द से भरपूर दुनिया बनाने का अथक प्रयास किया है।


इस प्रयोजन को पूर्ण करने के लिए मनुष्यात्माओं द्वारा अब तक किए गए समस्त प्रयास लगभग विफल ही रहे हैं । परमात्मा और मनुष्यात्मा में यही अन्तर है कि मनुष्यात्मा के समस्त प्रयास उसके विचार, उसकी भावना, उसके भौगोलिक निवास स्थान, समाज व संस्कृति की...