...

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दोस्त बने दुश्मन
मौर्निंग वाक से मै आ रही थी। अचानक मेरी एक दोस्त का फोन आया। उसने शिमला जाने का प्लान बनाया, मैने भी हामी भर दी।
अगले सुबह हम शिमला के लिए रवाना हुए। सुबह 8 बजे हम वहाँ पहुँच गए।
उसने एक होटल बुक किया था, हमें वहीं जाना था। होटल पहुचने के लिए हमने टैक्सी किया।
जब मैं टैक्सी से उतरी, मैंने अपने आप को अकेला पाया। घबरा कर मैंने उसे फोन किया। फोन स्विच ऑफ बता रहा था, मै और डर गई।
बहुत सोचने के बाद मै होटल के तरफ बढ़ी, और फिर.....

वहाँ जाने के बाद मुझे पता चला, किसी रईस का वह मकान है, कोई होटल नहीं है।
मै शिमला पहली बार गई थी।

पास मे एक बागिचा था, वहाँ जाने के लिए मै मुड़ने ही वाली थी कि अचानक किसी ने मेरा हाथ पकड़ लिया।
मुड़ कर देखी तो मैंने पाया...

एक औरत थी जो मुझे अपने साथ ले जाने की जिद्द कर रही थी।
उसने मुझसे कहाँ....

देखो बेटी मुझे गलत मत समझना, मैं तुम्हारी स्थिति जान चुकी हु। पास में ही मेरा घर हैं।
तुम चाहो तो मेरे साथ कुछ दिन रह सकती हो।
कुछ सोचने के बाद मै उनके साथ चल पडी़।

अगली सुबह चुड़ियों की खनकने की आवाज से मेरी निन्द खुली।
इन चुड़ियों कि खनक और मेरी माँ कि चुड़ियों कि खनक में कोई अंतर नहीं थी।
जल्द ही मैंने अपना आख खोला और मैंने पाया.....
मेरी माँ चुड़ियाँ खनका रही हैं।

आप सोच रहे होंगे यह हुआ कैसे.......
एक्चुअली, आन्टी ने मेरे मोबाइल से कौल करके माँ को बुलाया था।

माँ फ्लाइट से आई थी।

माँ को देख कर मेरी बेचैनी बल्कुल गायब हो गई। हर एक चीज मुझे अपना सा लगने लगा। मै बहुत खुश हो गई।

उस दिन मुझे पता चला....

"पराया अपना और अपना पराया" कैसे हो जाता है।

@krity kumari.