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करमा पूजा
प्रकृति पर्व करमा पूजा को करमा पूजा के नाम से भी जाना जाता है।भादो के एकादशी को करम पर्व त्यौहार मनाया जाता है।यह त्यौहार झारखंड, बंगाल, आसाम, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ तथा बिहार जैसे राज्यों में खूब धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व में बहनें अपने भाइयों की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं और उनके दीर्घायु के लिए पूजन करती हैं । बहनें अपने भाइयों के लिए व्रत रखती हैं ।करमा पूजा में पहाड़,पर्वत,जंगल,झाड़ तथा पेड़-पौधों की पूजा की जाती है।

इसकी त्यौहार की दो कथाएं बताई जाती हैं। उनमें से एक कथा है।कर्मा और धर्मा नाम के दो भाई थे। वे दोनो गरीब थे। उनकी एक बहन थी। उसने अपने भाइयों की सुख-समृद्धि और उनके दीर्घायु के लिए देवता की पूजा करती थी। पता नहीं क्या जादू हुआ । बहन की पूजा से दोनो भाइयों के अच्छे दिन आ गए।इसलिए उन दोनों भाइयों ने भी अपनी बहन की रक्षा की कसम खा ली कि वो अपनी बहन के लिए अपनी जान देकर भी उसकी रक्षा करेंगे।

कुछ दिनों बाद कर्मा काम करने के लिए बाहर चला गया। वह वहाँ रहकर अपनी सारी संस्कृति को भूल गया। कर्मा जब कमा कर घर वापस लौटा । तो उसने देखा, उसका छोटा भाई धर्मा कर्म वृक्ष की डाली की पूजा करने में लीन है। ऐसी बेज्जती कर्मा को बरदर्शत नहीं हुई। उसने सब कुछ तहस-नहस कर दिया। धर्मा और उसकी बहन दोनों ही कर्मा के इस व्यवहार से दुखी हुए। वे दोनों कर्मा से अलग रहने लगे। बाद में कर्मा का हाल बेहल हो गया। वो अपने सारे कामाय हुए पैसे जुए मे हार गया, वे बीमार भी होने लगा। धर्मा को यह सब देखा नहीं गया और उसने अपनी बहन के साथ कर्म पेड़ की डाली की पूजा करने लगे। अचानक ही एक रात कर्मा के सपने में देवता आए। देवता ने कहा:- "तुम कर्म वृक्ष की डाली की पूजा पाठ करो। तुम ठीक हो जाओगे ।"तो कर्मा ने ऐसा ही किया और सब खुशी से रहने लगे।

दूसरी कथा के अनुसार कर्मा और धर्मा नाम के दो भाई थे। कर्मा की शादी हो गई थी। उसकी पत्नी का नाम अधर्मी था। जैसा उसका नाम वैसे उसका काम। उसने एक बार मार( चावल का गरम पानी) को जमीन पर फेंक दियाl धरती हमारी माँ है और हमारी मां के ऊपर अधार्मि ने माड़ फेक दिया। ये काफी दुखी की बात है। इसलिए कर्मा को भी बहुत दुख हुआ। वह घर छोड़ कर चला गया । कर्मा के जाने के कारण उस गाँव मे धीरे-धीरे दुख तकलीफ ने जगह बना ली। धर्मा को यह सब देखा नहीं गया। वह अपने भाई को खोजने के लिए चल पड़ा।
उसको चलते-चलते बहुत प्यास लगी। दूर ही एक नदी थी। धर्मा जैसे ही उस नदी के पास अपनी प्यार बुझाने जाता है।उसने देखा कि नदी सुख गया है।
नदी ने धर्मा से कहा:- "मेरा भाग्य टूट गया है। जब से कर्मा यहाँ से गया है। "
फिर आगे जाकर उसे एक पेड़ दिखाई पड़ा। पेड़ के पास जाने पर उसे पता चला आम के पेड़ के सारे आम सड़ गए हैं।
आम ने धर्मा से कहा:- "मेरा भाग्य टूट गया है। जब से कर्मा यहाँ से गया है। " धर्मा आगे जाता है।
उसे आगे एक बूढ़े व्यक्ति मिले।
बुजुर्ग व्यक्ति ने धर्मा से कहा:- "मेरा भाग्य टूट गया है। जब से कर्मा यहाँ से गया है।"
यह भार जब तक दो-तीन लोग मिलकर न उतारे उतरता नहीं है।फिर जाते जाते धर्मा को एक महिला मिलती है।
औरत ने धर्मा से कहा:- "मेरा भाग्य टूट गया है। जब से कर्मा यहाँ से गया है। जब भी खाना बनाती हुँ,तो बर्तन हाथ में चीपक जाते हैं।" धर्मा आगे चलते चलते रेगिस्तान आ जाता है।
वहाँ एक जगह कर्मा बैठा हुआ था। उसके पूरे शरीर पर फोड़े हो रखे थे। धर्मा कर्मा को बोलता है कि तुम घर वापस चलो। कर्मा कहता है,मैं ऐसे जगह पर नहीं जाने वाला हूं। जहां पर माड़ को जमीन पर फेंक देते है। ऐसा अपमान मेरी माँ का मैं नहीं देख सकता। धर्मा ने कर्मा को मनाया और फिर दोनो भाई वापस जाने लगे। जाते वक्त वो महिला मिलती है वह अपने परेशानी का कारण पूँछती है। कर्मा बोलता है कि तुम भूखे को खाना नहीं देती हो। इसलिए तुम्हारे साथ ऐसा हुआ है। वे दोनों आगे जाते है तो उनको एक आम का पेड़ मिलता है। आम का पेड़ भी अपनी परेशानी पूँछता है। कर्मा कहता है कि जब तुम्हारे पास पर बहुत आम थे। तब तुमने उन्हें चिड़ियों को नहीं खाने दिया था। इसी कारण तुम्हारे सारे के सारे आम खराब हो गए। फिर दोनों भाई आगे जाते हैं।तो वही नदी मिलती है। नदी कहती मेरा पानी सूख गया है। क्या करूं? कर्मा कहता :-तुम अपना पानी गंदा रखती थी एवं पानी साफ भी होता तो तुम किसी को पानी नहीं पीने देती थी। इसलिए तुम्हारा पानी सुख गया है। फिर दोनों भाई घर आ जाते है। कर्मा और धर्मा आराम से रहने लगते हैं।

इस दिन शाम को कर्म पेड़ की पूजा की जाती है तथा पूजा करके उसकी एक डाल काट ली जाती है और इसमें इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि डाली जमीन पर न गिरे। फिर उस डाली की पूजा की जाती है।औरतें डांस करती हैं। हर जगह खुशियां मनाई जाती है।सभी के सभी खुश होते हैं। प्रकृति की पूजा करते हैं। यह भी कहा जाता है कि ये पूजा फसल अच्छी हो इसलिए भी की जाती है। इसमे पहाड़ों की पूजा करते हैं। ये पहाड़ हमें अपना रक्षा, फल, पेड़ और भी उपयोगी चीजे प्रदान करते है।

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