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बिल्लू वापिस आ जाओ
#बिल्लू वापिस आ जाओ

घास पूरा गंदा हो गया है, मम्मी यह कहते हुए। बिल्ली ने छोटे-छोटे बच्चे दिए हैं। पता नहीं इन्होंने क्या गंद फैला रखा है क्या खाया है इन्होंने? चारों तरफ गंदगी है और खून पड़ा है, शायद उन्होंने चूहा ही खाया होगा। लड़की बाहर की तरफ जाते हुए: मम्मी क्या कह रहे हो? कौन से बिल्ली के बच्चे क्या बात कर रहे हो?
मम्मी हां यहां पर बिल्ली ने बच्चों को जन्म दिया है। लड़की : वाह।
इस लड़की का नाम जूही है।


मैं जूही हूं। मुझे बहनों नहीं बताया कि इन बिल्लियों के बच्चों को छोड़कर इनकी मां पता नहीं कहां चली गई है। उनमें से एक छोटा सा बच्चा बहुत ही प्यारा था और इधर उधर घूम रहा था। मुझे बहन ने बताया कि बाकी बच्चे मर गए हैं। आखरी बच्चा ही बचा है। मुझे थोड़ा दुख हुआ। मैं सोच रही थी कि काश आखिरी बच्चा जीवित बच जाए। बच्चा शायद भूखा था। मां छोड़ कर पता नहीं कहां चली गई थी। मैं बच्चे को उठा कर ले आयी।
मैं उसको कटोरी में दूध पिलाया और उसकी थोड़ी देखभाल करने लगी। दोनों बहने भी बिल्लू को देखकर काफी खुश हो रही थी। अब लगभग सभी बिल्लू की देखभाल करने लगे थे। मैं बिल्लू को माऊं कहकर पुकारती थी। बिल्लू से लगाव सा हो गया था। एक दिन शाम हो रही थी, तभी मैंने देखा कि बिल्लू आंगन में नहीं है। मैं सब जगह ढूंढने लगी। मगर बिल्लू नहीं मिला, फिर मैंने सोचा, चलो मैं भैंस के कमरे में ही देख आती हूं। मैं देख कर हैरान हो गई। बिल्लू घास के ऊपर बहुत ही सुंदर तरीके से बैठ गया था।
एक-दो दिन बीते। मुश्किल ये आ रही थी कि इतनी रात में ठंड में बिल्लू को रखे तो कहां।अगर भैंस के कमरे में रख दिया तो बिल्लू कहीं भैंस के नीचे ही ना आ जाए और मर ही ना जाए। रात को बिल्लू को भैंस के कमरे में से मैं उठाकर ले आई। बिल्लू को दूध पिलाया । बिल्लू ने बहुत ही प्यार से दूध पिया।घरवाले बोलने लगे ऐसा कर भैंस के ऊपर वाली मंजिल पर जहां घास रखा है वहीं छोड़ आ। मैं कह रही थी कहीं यह गिर ही ना जाए। घरवालों ने कहा नहीं यह नहीं गिरेगा। तब बहन ने उसको ऊपर वाली मंजिल में रख दिया। वहां कोई दरवाजा नहीं था। बिल्लू अपनी प्यारी सी निगाहों से हमें बार-बार देख रहा था। जैसे ही मैं बिल्लू को देखने के लिए आई। बिल्लू आगे की ओर लूड़कने लगा। फिर मैं फटाफट गई और उसे ऊपर की तरफ खीसका दिया , कि यह गिर ना जाए। जैसे ही मैं जाने लगी वैसे ही बिल्लू नीचे गिर गया। मैं फटाफट आई लेकिन मैं बिल्लू को पकड़ नहीं पाई।बिल्लू धड़ाम से नीचे गिरा। मैं बहुत डर गई थी । बिल्लू के मुंह में से बहुत सारा खून बाहर निकलने लगा। मैं बोलने लगी अरे यह क्या हो गया मेरा बिल्लू मर गया। बहुत ही दुख से सुना रही हूं। मगर बिल्लू मरा नहीं और बिल्लू जिंदा था। मैंने बिल्लू को सहलाया। मैंने कहा मेरा प्यारा बच्चा तू कैसे गिर गया? फिर मैंने बिल्लू को हल्दी लगाई और सुला दिया। अगले दिन मैं सुबह उठी। तब मैंने जाकर बिल्लू को देखा। बिल्लू ने म्याऊं की। मुझे बहुत खुशी हुई। मैं बिल्लू को बाहर ले आई। जो मैंने उसका मुंह देखा तो बड़ा ही दुख हुआ। उसका जबड़ा टूट गया था। और वह माऊ माऊ कर रहा था। बिल्लू आकर मेरे पास ही बैठ जाया करता था।
फिर मैं कॉलेज चली गई। दूध बगैरा पिला कर ही गई थी। और बहनों को कह दिया इसका ध्यान रखना। जब मैं कॉलेज से वापस आई। तो बिल्लू ठीक था लेकिन थोड़ा सुस्त ही लग रहा था। मैं कह रही थी इसको दर्द है और उसको दवा की जरूरत है। मैंने कहा इससे दूध भी नहीं पिया जा रहा है। हम उसको बड़ी मुश्किल से ड्रॉपर से दूध पिला रहे थे। फिर अगला दिन बीत गया और मैं दोबारा से कॉलेज चली गई। मैं और मेरी बहन साथ में मार्केट भी घूम आए और जब हम घर पहुंचे। तो घर में मम्मी ने बताया कि बिल्लू की हालत ठीक नहीं है।और पापा इसको डॉक्टर के पास इंजेक्शन लगवा कर लेकर आए हैं। मगर इसकी हालत में कोई सुधार नहीं आया है। और हां बिल्लू को हमने घर के पीछे रख दिया है वह अपनी आखिरी सांसे ले रहा है। मैंने कहा क्या कह रहे हो बाहर इतनी ठंड है वह अकड़ जाएगा। घरवालों ने कहा अब क्या करेगा अब वो भगवान के पास जाना चाहता है। फिर में बैठ गई, मैंने फोन खोला और अपने एक मित्र को मैसेज किया। उसने पूछा बिल्लू कैसा है? मैंने कहा बिल्लू ठीक नहीं है।तब मुझे एहसास हुआ कि यही वह वक्त है जब उसको मेरे साथ की बहुत ज्यादा जरूरत है। मैं घर के पीछे चली गई वहां एक डिब्बे में बिल्लू को रखा गया था। मैंने बिल्लू को उठाया वह जिंदा था। उसकी पूरी बॉडी मर गई थी मगर उसके शरीर का सिर का हिस्सा, अभी गर्म था। फिर मुझे थोड़ी सी आशा हुई। मैने बिल्लू को आवाज लगाई : म्याऊं। बिल्लू ने मेरी आवाज सुनते ही मुझे जवाब दिया : म्याऊं। और मेरी आंखें भर आई। मैं बिल्लू को भैंस के कमरे में ले गई वहां थोड़ी गर्माहट रहती है। उसकी एक आवाज ने मेरे अंदर यह आशा ला दी कि मेरा बिल्लू ठीक हो जाएगा। फिर मैं फटाफट घर में गई और गर्म करके दूध में हल्दी मिलाकर बिल्लू को पिला दी। बिल्लू पहले से थोड़ा सा ठीक लगा मुझे। मैंने यह बात अपनी बहन को बताई कि बिल्लू थोड़ा हिल रहा है। मगर बहन ने कहा कि यह तो तड़प रहा है इसका आखिरी समय आ गया है। मैंने कहा ऐसा मत कह, यह भी तो हो सकता है कि यह ठीक हो जाए। मैंने कहा बिल्लू अगर यह रात जी गया तो मैं समझूंगी कि तू हमेशा जिएगा। फिर मैं सो गई और अगली सुबह उठी। फटाफट से भैंस के कमरे में ही गई। मेंरा बिल्लू जिंदा था। मैने बिल्लू को आवाज लगाई म्याऊं। बहुत खुशी हुई बिल्लू ने भी जवाब दिया : म्याऊं।
अब एक-दो दिन बीत गया और बिल्लू की हालत सुधरने लगी। बिल्लू दूध भी पिया करता था और अब हमारे साथ खेलने भी लगा। अब मुझे यकीन हो गया कि बिल्लू को कुछ नहीं होगा। मैंने रात को पेट भर बिल्लू को दूध पिलाया और थोड़ा सा दूध में मिलाकर फुल्का भी दिया। और बिल्लू को सुला दिया।

फिर अगली सुबह हो गई। मैं अभी सो ही रही थी और मम्मी भैंस के कमरे में से जाकर आई। मम्मी भैंस का दूध निकालने गई थी। मम्मी मेरे कमरे में आई। और मम्मी ने कहा बिल्लू तो गया अब। मैं एकदम से जाग गई। मैंने कहा क्या हो गया बिल्लू को। फिर मैं भैंस के कमरे में चली गई। मैंने बिल्लू को आवाज लगाई म्याऊं। मगर बिल्लू ने कोई जवाब नहीं दिया। और मेरे मन में सन्नाटा उदासी छा गई एकदम से। मैं झट से गई और बाल्टी जिसमें मैंने ओढनी बिछा कर बिल्लू को सुलाया था। वहां गई और बिल्लू को हिलाया। बिल्लू बहुत ही सुंदर तरीके से बैठा था। और बिल्लू बैठा बैठा ही मर गया था। मैंने बिल्लू को फिर आवाज लगाई। मुझे म्याऊं की आवाज सुनाई दी। तो मैं फटाफट से बिल्लू को हाथों में पकड़ कर हिटर के पास ले गई। मैंने बिल्लू को गर्म किया। आवाजें भी लगाई। मगर बिल्लू का कोई जवाब नहीं आया। घरवाले बोलने लगे क्या तू पागल हो गई है। बिल्लू नहीं रहा है। मैंने बोला नहीं , मैंने बिल्लू की आवाज सुनी है। घरवाले बोलने लगे यह तेरा बहम था। यह अब नहीं रहा है मर गया है। मेरे मन में उदासी छा गई। फिर मैं थक हार कर बिल्लू को वापस रख आई, और खुद कमरे में वापस आ गई। कुछ देर बाद पापा बिल्लू को दफना कर आ गए। अब मैं बिल्कुल चुप थी। दिल टूट ही गया। मेरा बिल्लू तू हमको छोड़ कर कहां चला गया?