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सावधानी : एक अच्छी आदत

सुबह- सुबह चिड़ियों का झुंड घर के मुंडेर मे देख सुमन की माता का मन अनायास ही खुश हो जाया करता था। उन्हें प्रतिदिन चिड़ियों का चहचहाने का इंतजार कर रहता। जरा सी आहट पाते ही बरामदे में जाकर झांक लिया करती थी । ऐसा प्रतीत होता जैसा ये उनके दिनचर्या का एक हिस्सा बन गया था। चिड़ियों के देखते ही माताजी अनाज के दाने
जमीन पर बिखेर कर प्रसन्नचित हो दाना चुगने के लिए आवाज लगाती एवं कीवाड़ के पीछ छिपकर दाना चुगते चिड़ियों को देख मंद-मंद मुस्काती। एक अजीब सा शुकुन अनुभव करती थी। सुमन भी अपनी मा एवं चिड़ियों का रिश्ता देख आनंदित हो जाया करती थी।
मानव मन प्रतिक्षण परिवर्तित होता है । मां के मन को आघात एकाएक लगता जब मां दाना चुगते चिड़ियों के जरा भी नजदीक जाती क्षण भर में चिड़ियों का झुंड फूर हो जाती।इस घटना से मां का हृदय टूट जाता एवं सुमन से शिकायत भरे लहजे मे कहती "क्या मै इनको जाल मे दबोच लूंगी जो मेरी जरा सी आहट पर ये उड़ जाते। सुमन मां को चुपचाप निहारती।
ऐसे ही दिन बितता गया। सुमन प्रतिदिन के भांति जब शाला जाने के लिए घर से निकल ही रही थी तो मां ने आवाज लगाई बेटा रास्ते से जाते समय सावधानी से जाना। सड़क पार करते समय वाहनों का ध्यान रखना। मां के इस सलाह को सुमन प्रतिदिन सिर हिलाकर उत्तर देती।
प्रतिदिन की भांति सुमन शाला जाने की तैयारी कर ही रही थी कि मां की उदास चेहरा दूख कुछ पूछ ही पाती कि मां शिकायत करते कहने लगी आज भी मेरे पैरों की आहट से चिड़ियों के झुंड फिर से चूं-चूं कर उड़ गए।
सुमन ये सुन मां को समझाते हुए कहती हैं जिस तरह आप मुझे प्रतिदिन सड़क सुरक्षा के बारे समझाती हो वैसे ही ये चिड़िया भी अपनी बचाव के लिए सुरक्षा का नियम पालन करते हैं ताकि धोखे से भी कोई उन्हें जाल में न फंसा सके। ये बेजुबान जानवर भी अपने सुरक्षा के प्रति सचेत रहते हैं। ये हम सबके लिए एक सीख है।
सुमन की बातों से मां की आंखे खुल जाती है और सारी शिकायतें दूर हो जाती है।।
धन्यवाद
रीता