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मोहब्बत इबादत है...! (part -4)
आते ही अब्बू से पूछा मेरी किसी दोस्त का फोन आया था क्या?


अब्बू ने बताया दो बार किसी आलिया का फ़ोन आया था आपके लिए... मैंने कह दिया अभी है नहीं यहां कायनात। अब रोज़ फ़ोन का इंतजार करने लगी।
ख़ुद पर‌ गुस्सा भी बहोत आया क्योंकि इतने दिन हो गए थे बात करते हुए, कभी भी आलिया का नम्बर नहीं लिया। अब फोन कैसे करे।

कई दिनों के इंतजार के बाद फ़ोन आया तो आलिया रो रही थी। कायनात ने बड़ी मुश्किल से चुप कराया और पूछा रो क्यों रही हो। आलिया रोते रोते बोली दानिश ने आख़िरी वक्त में आपको बहोत याद किया था।
उसने कहा था कायनात को कहना कि आख़िरी सांस तक वो ही याद आई है, और दानिश ने कहा कि कायनात को पायल पहनने का बहोत शौक है तो उसने पायल भेजी थी, जो मेरे पास है।
सोचा था जब रिश्ता पक्का होगा तो आपको दुंगी।
अब क्या करूं??
अपना एड्रेस बता दो भिजवा दूं।
इतना कह कर रोना ना रोक सकी।
कायनात की तो दुनिया बसाने से पहले ही उजड़ गई थी। फ़ोन हाथ से छुट गया और कट गया।
कायनात ने रोते हुए अपने दिल पे हाथ रखा तो दिल दानिश का नाम ले रहा है।
दानिश की आवाज़, उसकी बातें सब ज़हन में घुमने लगा। दर्द इस बात का कि अपनी मोहब्बत का इज़हार भी ना कर पाई।
कायनात ने अपने आप से कहा "अब दानिश को अपने दिल में ज़िंदा रखुंगी, हमेशा हमेशा के लिए,
अब ये मोहब्बत इबादत बन गई है मेरे लिए...
भले ही ज़िन्दगी में कोई और आए, मोहब्बत सिर्फ दानिश ही रहेंगे... मेरी रूह में समा गई है दानिश की रूह, जो कभी अलग नहीं होगी..."
और एक लम्बी सांस लेकर दिल में कहा...
"I love you Danish"
आंसू पोंछ कर कमरे में जाने लगी तो बस छम...
छम...छम.... सुनाई दे रही थी।