...

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गिर चुके हो तुम मेरी नजरों में!
क्या कमी रह गई थी?
पर सच कहूं तो कमी मुझमें नहीं कमी उसमें थी। मैंने तो जी जान लगा दी थी, हर बात मानी, उसकी हर चीज करी कभी कुछ कम ना पड़ने दिया। मैं नहीं कहती कि उसने कभी कुछ नहीं, किया है, अरे कहता था कि मेरे लिए पूरी दुनिया से लड़ जाएगा और लड़ा भी है उसने मेरे लिए दुनिया से। पर इस बार अपने आप से ही हार गया। अरे जिस इंसान को मैं जीते जी याद ना रही धोखा देते समय, भला मेरे आंसू उसकी यादों में क्यों बहेंगे? क्योंकि मेरा प्रेम सच्चा था? मैंने हमेशा उसकी आंखों में न जाने कैसे प्यार ढूंढ लिया... अरे वो कहते हैं ना कि —
"हम वही देखते हैं जो हम देखना चाहते हैं"
इसीलिए उसकी आंखों में भी हमेशा मुझे प्रेम ही छलकता दिखा।

सच कहूं तो खुद से भी ज्यादा भरोसा था उस पर की कभी ऐसा नहीं करेगा। और डरपोक तो था कि मुझे छोड़ने की भी हिम्मत नहीं थी उसके अंदर। खैर मैं यह नहीं कहूंगी कि मैं उससे नफरत करती हूं, अभी भी मेरे दिल में प्रेम है पर मैं लौटकर नहीं जाऊंगी.. क्यों? क्योंकि मेरी नजरों में वह गिर चुका है।

ठीक है यादें याद आएंगी — "यादें मरती नहीं पर मार देती है" न जाने क्या-क्या पर गुस्सा नहीं हूं मैं... मैं घायल हूं,मैं शायर हूं। गुस्सा ठंडा हो जाता है पर रूह पर लगे घाव के दाग कभी नहीं मिटते।

मुझे खुद पर यकीन है कि जब तुम्हें देखूंगी तो मेरा दिल नहीं पिघलेगा और मेरे चेहरे पर हंसी होगी ....मेरी हंसी व्यंग होगी - व्यंग - समझते होंगे ना व्यंग?
मुझे गुस्सा नहीं आएगा देखकर तुम्हें क्योंकि मैं तुम्हारे हक में अपनी नफरत तक नहीं देना चाहती हूं,
गिर चुके हो तुम मेरी नजरों में!

© @Aayushi_Yadav

#healing #self