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"हत्या व्यक्तिव की"

हत्या सिर्फ प्राणिमात्र की ही नहीं होती, हत्या व्यक्तित्व की भी होती है।
यह परेशानियों के साथ साथ आडम्बर , दिखावे का भी दौर है तथा यहाँ प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी रूप में इनसे ग्रस्त है।
समाज में छवि न खराब हो इसलिए हम अपनी असली छवि जो हमारा व्यक्तित्व है उसकी हत्या कर देते हैं।
और ऐसा करते समय इस बात से परे होते हैं कि जीवन में जब भी हम अकेले होंगे और खुद ही अपने जीवन का मूल्यांकन करेंगे तो हमें अपना मरा हुआ व्यक्तित्व देख कर खुद पर ही शर्मिंदा होना पड़ेगा।
अतः स्वयं के लिये कर्म करें किन्तु बिना किसी को हानि पहुंचाए।🙏🙏🙏

हत्या पर मैं कोई कहानी कैसे लिख दूँ, हत्या तो स्वयं में ही एक कहानी है। हर हत्या के पीछे भी कोई न कोई कहानी अवश्य होती है।🙏😞