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...दाल में पानी बढ़ जाता है
परिवार में मेरे पिताजी पर 5 लोगों की आजीविका की जिम्मेदारी होने के नाते पिताजी सवेरे ही काम पर निकल जाते थे। मेरी माताजी को हमेशा ही उनसे आर्थिक परिस्थितियों को लेकर शिकायत रहती थी। कई बार मैंने उनके बीच लंबी लंबी बेहसे भी देखीं। कई लोगो से सुन चुका था कि धन कभी सुख नहीं खरीद सकता किन्तु अपनी स्थति देखते हुए वो बातें मुझे अर्थहीन लगती थी। भले ही धन सुख को बढ़ा न सके परन्तु दुख को कम जरूर कर सकता है।
किसी भी कठिन परिस्थिति में स्वयं पर विश्वास रखना ही एकमात्र साधन होता है जिसके भरोसे कोई भी उसे पार कर सकता है। एक अनभिज्ञ परिस्थिति का डर होना उससे हार जाना नहीं है। समय की यही एक विशेष बात है कि वो बीत ही जाता है चाहे आपके कितना ही विपरीत क्यों न हो। वर्ष के कई महीने ऐसे भी बीतते हैं कि पिताजी के पास कोई आय का साधन नहीं बचता। मां कहती है कि उन दिनों भी ईश्वर की कृपा होती है कि परिवार का कोई भी सदस्य भूखा नहीं सोता। किन्तु इतने सालों में मैंने जो अनुभव किया है वो ये की घर में बनने वाली दाल में पानी बढ़ जाता है।