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समझौता
शादी ब्याह का तो मतलब ही होता है दो से एक होना।
अर्थात स्वयं को एक दूसरे को समर्पित कर देना।मग़र आज के बदलते परिवेश ने सबकुछ बदल कर रख दिया है।आज सब अपनी मनमर्जियां चलाना चाहते है। कोई किसी की बात सुनने समझने के लिए तैयार ही नहीं है।
अगर अपने घर परिवार के लिए थोड़ी बहुत हम समझौता कर भी लेते हैं तो इसमें गलत क्या है।
समझदार लोग ही समझौता करते हैं। एक दूसरे को एक दूसरे के समझने के लिए वक्त देते हैं।अपनी खामियों को
दूर करने का प्रयास करते हैं। और एक दूसरे को मन से एक्सेप्ट करते हैं। तभी तो दो से एक होते हैं। और बेकार लोग तो सीधा फैसला सुना देते हैं।
समझौता यही तो नाम दिया था उसने अपनी शादी का
जब पहली बार शादी के वक्त मंडप में देखा था उसने अपने पति को..!! विमला की इच्छा हो रही थी एक नजर अपने पति को देखने की तो उसने सबसे नज़र बचाते हुए मंडप में ही तिरछी नजर अपने पति पे डाली उसको देखते ही विमला की आंखें भर आई।मन ही मन में कहने लगी बाबूजी ये क्या कर दिया आपने..?? मैंने तो कोई गलती भी नहीं की फिर ये सजा मुझे किस जुर्म की दी.....?? बहुत देर तक अंदर ही अंदर घुटते रहने के बाद विमला ने अपने टूटते सपनों को जैसे तैसे समेटने का प्रयास करती हुई ये निश्चय किया कि जिंदगी ही तो काटनी है कट जाएगी। मगर उसके आंसु थे कि रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी।विमला दुबली-पतली छोटे कद की श्यामली सी लड़की बिल्कुल बच्ची लग रही थी और उसका पति लम्बा चौड़ा अपने उमर से कहीं ज्यादा बुढ़ा दिख रहा था।
वहीं समझौता आज उसे अपने जीवन का सबसे खूबसूरत रिश्ता लगने लगा था।जिसे वो देवों का आशीर्वाद समझ कर अपने सर माथे से लगा कर रखने लगी थी।वो किसी भी कीमत पर उसे खोना नहीं चाहती है। बल्कि जन्म जन्मांतर तक उसके साथ रहना चाहती थी।सारी समस्याएं तक तक थी जब तक कि वो उसे एक्सेप्ट नहीं कर रहीं थी। एक बार मन से एक्सेप्ट करने के बाद तो उसे अपने पति के जैसा अच्छा कोई और शख़्स लग ही नहीं रहा था। विमला के पति ने भी विमला का दिल जितने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।अपना वजन कम किया। अपना रहन सहन खान-पान तक बदल लिया। दरअसल शादी के तुरंत बाद विमला का पति शहर अपने काम पर लौट आया था।
यहां आकर उसने अपने में खूब सुधार किया। और फिर जब वो छ: महीने बाद विमला से मिला तो घरवालों के साथ साथ विमला भी आश्चर्य चकित रह गयी अपने पति को देख कर आधा वजन का हो गया था।दुबला-पतला छड़हरा बदन और गोरा रंग किसी विलायती बाबू से कम नहीं लग रहा था।अब वो दुल्हा लग रहा था।मारे खुशी के विमला फूली नहीं समा रही थी। विमला ने समझौता तो शादी के मंडप में ही कर ली थी।आज तो वो अपने पति को एक्सेप्ट कर रही थी।कल तक जो अपने पति को पसंद नहीं करती थी।आज उस पे अपनी जान छिड़कने लगी थी।
किरण