...

15 views

अपने सपने
यह कहानी एक लड़की की है, जिसकी मासूमियत से पर्वत झूमने लगते हों, जिसकी मिट्ठी आवाज़ से लगता हो कि कृष्ण जी स्वयं आ कर बंसी बजा रहे हों, जिसकी एक हस्सी सबका मन मोह लेती हों, जिसकी छोटे मासूम नानों में हजारों बड़े सपने हों, उसका नाम लता था! लेकिन लता एक ऐसे समाज में रहती थी जहां लड़कियों को अपने सपने पूरा करने का कोई हक नही था।पर वह खुशनसीब थी, क्योंकि वह एक ऐसी घर की बेटी थी जहां लड़कियों को कुछ आज़ादी मिल जाती थी। पर वह जो आज़ादी चाहती थी, वोह नामुमकिन थी।
'नाचना'………………. जी, जिस समाज में वह रहती थी उसमे नाचना एक गुन्हा था! वह सारे दुख अपने डायरी में लिखती थी। लता ने बचपन से लेकर आज तक कभी भी झूट नहीं बोला। पर जब उसने रेडियो, अखबारों, किताबों में लड़कियों के आज़ादी के बारे में बहुत सुना, तो उसने सोचा कि अगर सबको अपने सपने को पूरा करने का हक है, तो लड़कियों को भी होना चाहिए। और उसने सोच लिया कि वह भी अपने सपनों को पूरा करेगी। वह अपने घर वालों से झूट बोलकर कत्थक सीखने जाती। उसने झूट बोला, लता ने कोई धोका नहीं दिया, उसने अपने किमती सपनों के लिए झूट बोला । वह कत्थक सीखने तो जाती थी पर उसकी गुरु उससे नज़र अंदाज़ कर देती थी। तो उसने सोचा कि, क्यूं न वह कत्थक सीखने के जगह जा कर देखे। यह बात उसकी चचेरी बहन को पता चल गई। उसकी चचेरी बहन उससे बहुत जलती थी। उसकी बहन ने यह बात अपने बड़े पापा, यानी लता के पापा को बता दी। उसके पापा इस बात पर आग बबूला हो गए। वे तुरंत ही नृत्य भवन पहुंच गए। उन्होंने लता पर बहुत गुस्सा किया, उनका तो मन कर रहा था कि वह एक-दो चाटे भी लगा दे, पर वह अपनी बेटी के प्यार में मजबूर थे। उन्होंने कहा कि “ नहीं, गलती मेरी ही है, की मेरे संस्कारो में ही कोई कमी रह गई होगी।और इस गलती कि सजा मुझे मिलनी ही चाहिए। तो आजसे, बल्कि अभि से में अपनी बेटी से बात नहीं करूंगा।”

यह सुनते ही लता को अपने आप पर बहुत ज़्यादा गुस्सा आया। वह सबका विस्वास तोड़ सकती थी, पर अपने पापा का विस्वास नही तोड़ सकती थी। पर वह जानती थी कि उसे क्या करना है। कल महावीर जयंती थी, और इस दिन उसके घर में बहुत बड़ी पूजा रखी जाती थी, महावीर जी सब अच्छा ही करते हैं। उसने हिम्मत कर अपने पापा से कहा कि “ पापा आपके संस्कार तो इतने अच्छे हैं कि, मैं सुबह उठती हूं तो सबसे पहले भगवान का चेहरा देखती हूं, मैं भगवान को भोग लगाने के बाद ही अपने मुंह में अनन डालती हूं, डर लगता है तो हनुमान चालीसा पढ़ती हूं। पापा यह हैं आपके संस्कार।” उसके पापा ने अपनी बेटी के आंखों से गिरते आसूं देख और बाते सुनकर अपनी बेटी को गले लगा लिया, और उसे माफ़ कर दिया। लता अपने कमरे में जाकर रोने लगी। उसकी एक आंख में खुशी के आसूं थे क्यूंकि उसके पापा ने उसे माफ़ कर दिया था, और दूसरी में दुख के आसूं थे क्यूंकि न चाहते हुए भी उसे अपने सपने छोड़ने पड़ेंगे। क्यूंकि वह सब कुछ बरदाश कर सकती थी, लेकिन अपने पापा का दुख नहीं। उसने अपने आप को समझाया कि कभी सपनों के लिए अपनों से लड़ना पड़ता है, तो कभी अपनों के लिए सपनों से!

उसने एक कोरे कागज़ पर लिख दिया कि ‘ लड़कियों को अपना सपना पूरा करने का कोई हक नहीं है।' और उसे वहां डाल दिया जहां अखबार छापे जाते हैं। पर लता ने उसका नाम उस कागज़ पर नहीं लिखा, ताकि उसके पापा को नहीं पता चले, और वह चाहती भी नहीं थी कि कोई उसे प्रोत्साहित करे।अखबार में यह बात एक नई सोच वाली लड़की ने पढ़ी। उस लड़की को यह जानकर बहुत दुख हुआ कि अभी भी भारत देश में बहुत से लोगों की सोच पुरानी और दबी हुए है। उसने लता को अप्रत्यक्ष रूप से अखबार में जवाब दिया। लता ने उसे पढ़ा, और उसे बात भी समझ आई, पर उसका फैसला अटल था (की वह कत्थक नहीं करेगी)। बहुत दिन बीत चुके थे इस बात को, पर तभी एक दिन, लता के पापा ने बंगले का उपरी हिस्सा किराए पर दे दिया, क्यूंकि उन्हें धंधे में बहुत नुकसान हो गया था। उन्होंने तुरंत एक किराएदार भी ढूंड लिया। वह किराएदार कोई और नहीं बल्कि वहीं लड़की थी जिसने लता की बातें पढ़ी थी और जवाबभी दिया था। वह लड़की लता से मिलना चाहती थी ताकि वह उसे (लता) को बता सके कि अपने सपने पूरे करना कोई गुन्हा नहीं है।पर उसकी तो लता का नाम भी नहीं पता था। वह लड़की अक्सर घर से बाहर रहती थी,क्यूंकि वह लता को ढूंढ रही थी। एक दिन वह लड़की लताके कमरे से गुज़र रही थी,कि तभी उसेएक डायरी ज़मीन पर पड़ी हुई मिली। वह लता की डायरी थीजिसमे वह अपने एक-एक दिन की घटना लिखती थी। अगर वह लड़की वो डायरी पढ़ती तो सबको पता चल जाता कि लता कत्थक भी सीखने जाती थी। तभी अचानक वहां लता आ गई,उसने उस लड़की को कहा कि,“तुम ऐसे कैसे किसी के भी कमरे में आ कर उसकी डायरी पढ़ सकती हो!” उस लड़की ने कहा “मुझे माफ़ कर दो,मैं तो बस..........” “अच्छा ठीक है,अब जाओ।” लता ने कहा। कुछ दिनों बाद,लता के हात से उसकी डायरी गिर गई। वह डायरी उस लड़की ने उठा ली। उसने सच्चाई देख लि, की लता हिं वह लड़की है जिसने अखबार में लिखा था कि,लड़कियों को अपना सपना पूरा करने का कोई हक नही है! वह लता के कमरे में उसे समझाने गई,पर वह ना मानी। फिर उस लड़की ने कहा कि “ तुम्हे कुछ ऐसा करना होगा जिससेतुम्हारे पापा कत्थक करने की खुशी-खुशी इजाज़त दे दें। और साथ ही साथ उनके मन से ये लड़का और लड़की का भेद निकल जाए।” तो लता ने कहा कि “ऐसा क्या काम हो सकता?” तो फिर उस लड़की ने सोचा और उसके चहरे पर मुस्कान आ गई। एक रात,लता के घर में चोर घुस गए। सब सोए हुए थे,पर लता पानी पीने रसोई घर में आई थी। उसने चोरों को देखा,वह थोड़ी देर के लिए घबरा गई। लेकिन फिर उसने तुरंत रसोई घर से लाल मिर्च का पाउडर उठा लिया,और एक रस्सी भी। वह चोरों के सामने गई और बहुत ज़ोरो से कत्थक करना शुरू कर दिया। वह ऐसे कत्थक कर रही थी कि मानो काली मा रौद्र रूप उसने धारण कर लिया हो,इससे चोर इतना दर गए कि मानो उन्होंने एक भूत देख लिया हो। लता ने फिर चोरों पर लाल मिर्च का पाउडर फेक दिया और उन्हें रस्सी से बांध दिया। ये सब लता के पापा ने देख लिया। लता दर गई। पर अचानक उसके पापा ने उसे गले से लगा लिया। लता के पापा ने बड़े खुशी के साथ कहा की “लड़कियों को भी अपने सपने पूरा करने का पूरा हक है” लता खुशी के मारे उछल पड़ी मानो दुनिया की सारी खुशियां उसे मिल गई हो। लता के पापा ने कहा “ बेटा आज तूने मेरी आँखें खोल दी। शायद भगवान चाहते थे कि मेरी सोच मेरी बेटी ही बदले।” लता ने उसके पापा को धन्यवाद बोला। वह सुबह होते ही उस लड़की के पास गई और उसे सब कुछ बताया। वह लड़की खुशी के मेरे झूम उठी। फिर लता ने ५-१० साल बहुत मेहनत की और आज वह एक प्रसिद्ध नर्तिका है। लता ने सच- मूच एक मिसाल कायम की है। उसने आखिर पूरे कर ही दिखाए "अपने सपने"