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रक्तायाण~ सत्य
थाय कहते हैं की आपके शब्द आपके रास्ते को और कठिन बना देते है इसलिए सोच समझकर बोला शब्द करे!
रोमिशा ने प्रार्थना की और अपने वरदान का इस्तेमाल किया अपने पति की आत्मा को वापस पाने के लिए आखिरकार उसने यमराज को बुलाया
जैसा कि हम जानते हैं कि यमराज नरक के देवता हैं मृत्यु और न्याय के देवता, कानून के वितरण और उनके निवास में पापियों की सजा के लिए जिम्मेदार, यमलोक मे रहनेवाले
"यमराज अक्सर एक गहरे रंग के व्यक्ति के रूप में चित्रित किया गया है , जो भैंस की सवारी करते हे और आत्माओं को पकड़ने के लिए एक फंदा या गदा रखते है"
यमराज रोमीशा के सामने प्रकट हुऐ उनकी आंखों में आग की रोशनी थीं उनकी चार और आग की लपटें थी।
उनकी उपस्थिति ने सबको अपने घुटनों के बल पर नीचे झुका दिया, सभी को डर था कि वह क्या कहने जा रहे हैं
यमराज ने कहा "कितने साल हो गए इस नर्क से निकलकर पृथ्वी धरती पर आये रोमीशा तुम एक वरदान प्राप्त हुआ है। जिससे कि तुम किसी भी भगवान या फिर राक्षस को बुला सकती हो?ओर यह वरदान केवल एक बार है बताओ रोमिशा बताओ क्या इच्छा है तुम्हारी?
रोमिशा ने कहा, "मैं अपने पति के प्राण को वापस चाहती हूं, मैं आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना करती हूं कि मेरे पति की जिंदगी वापस आ जाए।"
यमराज ने कहा "रोमिशा। बेटी।, यह इच्छा पूरी नहीं हो सकती। यह प्रकृति के खिलाफ है। प्रकृति नियम है कि जो भी पैदा होता है उसकी मृत्यु निश्चित है। यही सत्य है बेटी
उसकी आँखों में आँसू थे अपनी टूटी हुई आवाज के साथ रोमिशा, ने कहा "वह मरा नहीं है वह अपनी बेटी की जान बचाने के लिए अपने गाँव के लोगों की जान बचाने के लिए मारा गया है, उसने खुद का बलिदान दिया है
यमराज "मैं समझता तुम्हारा अपने पति के लिए प्रेम! लेकिन आपको वास्तविकता को स्वीकार करना होगा। रोमीशा
रोमिशा ने कहा है देवाता " किसी को जीवन देना या मृत्यु देना आपके हाथों में है ना की किसी हत्यारा के हाथों मे "
यमराज रोमीशा " यदि मैंने उसे जीवन दे दिया। तो तुम जानो, क्या परिस्थितियाँ होंगी, प्रकृति में असंतुलन होगा,"
रोमिशा कहा " तो मेरी आत्मा के बदले आप मेरे पति को जीवन दान दे दे।
यमराज ने कहा।
मे तुम्हे एक वरदान प्रदान करता हु - अपने पति के जीवन की वापसी के अलावा कोई भी वरदान मांगो!
रोमिशा ने देखा। यमराज की आँखों में और कहा " ठीक है मेरा पहला वरदान है की मे लजस के सौ पुत्रों की माँ बनु" ओर उसका राज्य उसे वापस कर दिया जाय क्या आप इसे संभव बना सकते हैं
यम यह सुनते हुए प्रसन्न होते हैं पर जब तक उन्हें यह एहसास नहीं हो जाता कि वरदान तब तक पूरा नहीं हो सकता जब तक कि लजस उनके पति के रूप में जीवन में वापस नहीं आ जाते। तब तक ये वरदान पुरे नहीं हो सकते
रोमीशा की हिम्मत देखकर
यमराज ने कहा "रोमिशा मैं आपके पति के प्रति आपके प्रेम से प्रभावित होगया हु "
"एक रास्ता है जो आपको अपने पति को वापस दिला सकता है और वह है। " सत्य पथ"
"10 सत्य मार्ग हैं ये पुरे संसार मे आपको उस सत्य का पता लगाना है जो राक्षसों अपने अंधेरे के पिछे छिपा रखा है"
"तुम्हारे हाथ की रेखाएँ मैं मिटा दूंगा जब भी तुम एक सत्य मार्ग को प्रकाशित करोगी। इसी तरह, तुम्हारे हाथों की एक रेखा आएगी और वैसे ही तुम्हारे दोनों हाथों को मिलाकर 10 रेखाएं होंगी। जब १० सत्य पथ को पूरा करोगे तो तुम्हारे पास १० रेखाएँ होंगी ओर तब अपने हाथ जोडकर अपने पति के जीवन को वापस पालोगी "
"लेकिन याद रखें अगर आप अपनी हाथ की रेखाएं पूर्ण नहीं कर पाई। तो आप अपना भाग्य खो देंगे, भाग्य, आपका अतीत, भविष्य मिट जाएगा, इसलिए सावधानी से बेटी ।"
"यह कहते हुए यमराज धरती के अंदर समा जाते हैं।"
"ओर यहा से रोमीशा अपने स्वामी! अपने पति के प्राण! को प्राप्त करने की। गाथा शुरू होती है।"
रोमीशा इतनी समर्पित थी, वह अपने पति के साथ मृतकों के लोकों में भी जाने को तैयार थी। यह एकल पत्नी का गुण था, किसी भी अन्य से अधिक, जिसने मृत्यु के देवता को उसकी मांग को स्वीकार करने के लिए मजबूर किया।
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