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बड़ी हवेली (किस्मत का खेल)
कमांडर अपनी बात जारी रखता है "ख़ज़ाना मिलने के बाद जब हम लोग लौट रहा था तब से कई बार डॉक्टर ज़ाकिर ने ये कोशिश किया कि तुम्हारे फादर का जान चला जाए, इसलिए डॉक्टर ने मेरा सिर उस कपड़े का बटुआ से बाहर निकाला और संदूक में ऐसे ही बंद कर दिया, उसने सोचा हम तुम्हारे फादर को मार देगा, पर मौत तो सिरीज़ में होना था जो शरीर के टुकड़ों को अलग कर के थम गया था। फिर भी अगर हम चाहता तो भी डॉक्टर ज़ाकिर और प्रोफेसर को तब भी मार सकता था"।

तनवीर ने कमांडर को बीच ही में टोकते हुए कहा " इसका मतलब यह है कि आपने जान बूझकर उन्हें ज़िन्दा छोड़ा, पर किसलिए, मेरी समझ में कुछ नहीं आया, ज़रा खुलकर बताइए ", तनवीर के चेहरे पर आश्चर्य के भाव थे।

" अब अगर बीच बीच में टोकेगा तो हम भी भूल जायेगा, राज़ की बातें ज़्यादा हैं और रात बहुत ही छोटा , कुछ ही देर बाद सुबह हो जाएगा, एक रात और बर्बाद होगा, हम तो सारा बात आज ही सुना कर ख़त्म करना चाहता है ताकि अपना धड़ तक पहुंचने का सफ़र जल्द ही तय कर सके। अब सुनो, अगर हम चाहता तो उस समय भी इस संदूक से बाहर निकल कर डॉक्टर और तुम्हारा फादर का सफाया कर सकता था, पर हम उस समय ही डॉक्टर का भविष्य देख लिया था, उसे ख़ज़ाना भारत सरकार के हवाले करते ही लंदन यूनिवर्सिटी का टिकिट मिलना तय था,
जब एक ताकतवर आत्मा किसी के पीछे लगता है तो उसका भूत, वर्तमान भविष्य सब जानता है।
प्रोफेसर इस ख़ज़ाने का क्रेडिट अपने ऊपर टीम का सहायक बन कर लेता और डॉक्टर टीम का लीडर, ये बात हमको तब ही पता चल गया था,...