तन्हा बिखरा सा अनजान टूटा सा मुसाफिर ।
खोकर के तलाश में मंजिल की बस अब तो मुसाफिर सा हो गया हूं
खोकर के तलाश में मंजिल की बस अब तो मुसाफिर सा हो गया हूं
कब्र मे पड़ी लाश के ढेर धूल सा हो गया हूं
वजूद ढूंढते ढूंढते मै अपना
खुद के लिए ही अजनबी सा हो गया हूं...
खोकर के तलाश में मंजिल की बस अब तो मुसाफिर सा हो गया हूं
कब्र मे पड़ी लाश के ढेर धूल सा हो गया हूं
वजूद ढूंढते ढूंढते मै अपना
खुद के लिए ही अजनबी सा हो गया हूं...