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मोहब्बतें या भ्रम जाल (भाग 5)
नमस्कार दोस्तों
मैं रीमिता आपके सम्मुख अपनी कहानी मोहब्बतें या भ्रम जाल का अगला हिस्सा लेकर प्रस्तुत हुई हूं ।दोस्तों आपके लाइक्स और कमेंट ही मुझे इस कहानी को आगे बढ़ाने का प्रोत्साहन देते हैं। इसलिए मेरी कहानी पढ़ते रहे और मेरी कहानी की समीक्षा जरूर करें।









सभी लोग इकट्ठे होकर छोटी के रोके के लिए निकलने लगे थे,मुकेश जब तैयार होकर बाहर आया तो शिखा ताऊ जी और ताई जी के साथ उनकी कार में बैठ गई थी ।फिर ताई जी मुकेश को देखकर बोली "अरे मुकेश तुम भी यही हमारे साथ आ जाओ।" मुकेश मुस्कुराते हुए बोला "नहीं ! ताई जी आप लोग जाइए मैं और शिखा बाइक से आ जाएंगे।" शिखा की आंखों में जो हैरानी थी ।वह तो देखने लायक थी ही लेकिन उसके साथ-साथ मम्मी,मंजू ,छोटी ,इंदर ,पापा ,इन सब के चेहरे भी देखने लायक थे। मुकेश मन में मुस्कुराता हुआ बाइक निकालने लगा कि शिखा बोली "नहीं! आप बाइक से आ जाइए मैं ताऊजी ताई जी के साथ कार से ही जाऊंगी।" मुकेश को तो इस बात की उम्मीद ही नहीं थी। जिसने आज तक उसकी किसी बात को काटा ही नहीं था उसे तो लगा था शिखा उसकी जरा सी बात पर या उसकी इनायत पर खुश हो जाएगी। इस बात से उसे यह आईडीयाअभी लगाया था शिखा भी उससे बहुत नाराज है और उसके लिए सबको बनाना इतना आसान नहीं होगा जितना को सोच कर आया था। शिखा के मना करने के बाद शिखा कार में बैठकर सबके साथ चली गई। मुकेश उसके ताऊ जी का बेटा नीलेश इकट्ठे आए,वहां पहुंचकर मुकेश से सबसे पहले शिखा के भाई से मुलाकात हुई। शिखा के भाई ने मुकेश को देखते ही गले से लगा लिया। मुकेश यह बात जानता था कि जब वह...