वह रात...
बात स्कूल के ज़माने की है...
उस वक़्त बिजली की बहुत परेशानी थी और सङकों का भी बहुत खास्ता हाल था. मेरे एक मित्र के यहां शादी थीं तो उसने बुलावा दिया और कहा कि उस दिन उसके घर पर ही रुक जाना क्युकी घर थोड़ा दूर था.
शादी के दिन हमने खूब मज़े किये सारे दोस्तों ने मिल कर खाया पिया. रात के 11 - 12 बज चुके थे सबलोग अपने अपने धुन में थे.
मेरे भी सारे मित्र निकल चुके थे और मेरे भी दिमाग में घर जाने की सूझी, पर घर दूर होने की वजह से और सुनसान रास्ता याद करके हिम्मत नहीं हो रहीं थीं।
मेरे घर के रास्ते मे दोनो तरफ आम के बगान थे और एक पोखर थीं जिसके बगल में दो बड़े बड़े घन पीपल के वृक्ष थे.। वहाँ के स्थानीय लोगों ने बहुत सारी कहानिया बना रखी थीं कि शाम के बाद वहां नहीं जाना चाहिए क्युकि उन वृक्षों पर आत्मा का वास है और कई बार जिन्न और चुड़ैल भी देखी गई है, और अगर उन्हें कोई परेशान कर्ता है तो वह सजा भी देते है,
जैसे पेड़ पर लटका देना पोखर मै धकेल देना, किसी जानवर का रूप ले कर हमला कर देना।
कहानियाँ तो मैंने बहुत सुनी थी पर कभी प्रत्यक्ष...
उस वक़्त बिजली की बहुत परेशानी थी और सङकों का भी बहुत खास्ता हाल था. मेरे एक मित्र के यहां शादी थीं तो उसने बुलावा दिया और कहा कि उस दिन उसके घर पर ही रुक जाना क्युकी घर थोड़ा दूर था.
शादी के दिन हमने खूब मज़े किये सारे दोस्तों ने मिल कर खाया पिया. रात के 11 - 12 बज चुके थे सबलोग अपने अपने धुन में थे.
मेरे भी सारे मित्र निकल चुके थे और मेरे भी दिमाग में घर जाने की सूझी, पर घर दूर होने की वजह से और सुनसान रास्ता याद करके हिम्मत नहीं हो रहीं थीं।
मेरे घर के रास्ते मे दोनो तरफ आम के बगान थे और एक पोखर थीं जिसके बगल में दो बड़े बड़े घन पीपल के वृक्ष थे.। वहाँ के स्थानीय लोगों ने बहुत सारी कहानिया बना रखी थीं कि शाम के बाद वहां नहीं जाना चाहिए क्युकि उन वृक्षों पर आत्मा का वास है और कई बार जिन्न और चुड़ैल भी देखी गई है, और अगर उन्हें कोई परेशान कर्ता है तो वह सजा भी देते है,
जैसे पेड़ पर लटका देना पोखर मै धकेल देना, किसी जानवर का रूप ले कर हमला कर देना।
कहानियाँ तो मैंने बहुत सुनी थी पर कभी प्रत्यक्ष...