...

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बस यूँ ही,,,🌹❣️
न जाने किस से भाग रहा हूँ मै,?
न जाने कहाँ जाने को व्याकुल हूँ मै,?
हंसने की कोशिश में न जाने क्यों आँखें छलक पड़ती हैं??

बात करना चाहता हूँ
लेकिन,!
चुप हो जाता हूँ,,

मुश्किलें किसके जीवन में नहीं
आती भला
ये जानते हुए ख़ुद को खुशक़िस्मत सा महसूस करता हूँ

फिर भी हवा का कोई झोंका गले से लगाकर कहता है,,

“तुम रो क्यों नहीं लेते पागल”

और मैं उसका मुँह ताकता हूँ कि
मैं तो ठीक हूँ ना,,😇

ठीक होने में उदास होना,
रो लेना शामिल नहीं ये किसने कहा?
हवा के झोंके ने सर सहलाते हुए कहा ,,

और मैं ख़ामोश सा हो गया,,.
मैंने सोचा,
सपने में बार-बार ट्रेन छूट जाती है
और उसक हाथ छूट जाता है,

नींद के भीतर ढेर सारी जाग भरी रहती है और जाग में नींद का दखल जारी रहता है ,,

ये सब किस से कहूँ इसलिए कह देता हूँ सब ठीक है,,,,

लेकिन,,!
जिसके लिए लिखा है

उन्हें पता है उन्हें सच में सब पता ही है कि , ,,
ठीक के भीतर
कितना ठीक हू मै,,?
कितना पानी है आंखो मे??
खैर
फिर भी…,,✍️🙏🏻
बस यू ही
© 🍂