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गलती का अहसास
उवां,उवां, उवां,बेबी प्रिंस की आवाज सुनकर दिनेश का ध्यान समाचार पत्र से हटा। दो वर्षीय बेबी पलंग से नीचे गिर गया था, और रो रहा था।
अरे प्रिंस गिर गया है, सविता, तुम कहां चली गई हो दिनेश ने अपनी पत्नी सविता को आवाज लगाई।
मैं रसोई में खाना बना रही थी। आपको कहकर गई थी कि आपके लिए नाश्ता और दोपहर का लंच तैयार कर रही हूं।आप अखबार में इतना मग्न हो कि आपको न तो मेरी बात सुनाई देती है और न ही बच्चे का ध्यान है कि वह खिसक कर कब कोने में आ गया।सवा 9 बज चुके हैं और अब भी आप पेपर पढ़ रहे हैं।
क्या आज आप लेट नहीं हो रहे हैं।ऊपर से आप मेरी लापरवाही बता रहे हैं। सविता ने बच्चे को गोदी में लेते हुए उत्तर दिया।
दिनेश:- सविता, तुम अब बहुत बोलने लगी हो। बच्चे को तुम संभाल नहीं पा रहे हो और खाना बनाने का बहाना बना रहे हो।कई बार
मैंने आफिस की कैंटीन से खाना मंगवाकर खाया है।मैं आज भी वहीं से खा लेता।
सविता:-आप ने खुद ही कहा था कि बाहर का खाना खाने से मेरा पेट खराब हो गया है।अब मैं बाहर का खाना नहीं खाऊंगा। इसलिए मैंने आपके लिए लंचबॉक्स घर से ही देना शुरू कर दिया था।
आप अपनी ग़लती को छुपाने के लिए मुझ पर दोषारोपण कर रहे हैं।
हां सब मेरी ही गलती है।मुझे अब कुछ भी नहीं खाना है। मैं आफिस जा रहा हूं। तुम ही खाओ यह नाश्ता और लंच। कहते हुए दिनेश ने हैंगर से कपड़े निकाले और पहनने लगे।
सविता;-अच्छा, मेरी ही गलती है।अब आप नाश्ता करके और लंच लेकर जायेंगे।
दिनेश अब कपड़े पहन चुका था।
उसने जूते पहने व स्कूटर स्टार्ट कर कार्यालय के लिए चल पड़ा।अभी चार किलोमीटर ही चले होंगे कि सामने से आते चौबीस पहिये वाले ट्राले से उसकी टक्कर हो गई।
टक्कर इतनी भयंकर थी कि स्कूटर हवा में उछल कर दूर जा गिरा।दिनेश जमीन पर बेहोश होकर गिर पड़े।फटाफट उन्हें अस्पताल ले जाया गया।उनके घर फोन कर दिया गया।
फोन पर खबर सुनते ही सविता रो पड़ी। कहां लगी है ,चोट कितनी है इत्यादि सवाल फोन पर ही पूछने लगी।
मैडम,आप जल्दी नवजीवन हौस्पिटल की इमरजेंसी में आइये।दिनेश को बेहोशी की हालत में यहां पर एडमिट कराया गया है।
सविता ने अपनी बहन रीमा और दिनेश के बड़े भाई साहब को फोन द्वारा हौस्पिटल पहुंचने को कहा।सविता ,उसकी बहन रीमा व भाई योगेश सभी दस मिनट में पहुंच गए।
तीन घंटे बाद दिनेश को थोड़ा सा होश आया। सविता व दिनेश के बड़े भाई सोमेश ने डाक्टर से स्वास्थ्य लाभ की स्थिति के बारे में पूछा।
डाक्टर ने कहा, मरीज़ को दो युनिट ब्लड चाहिए। दिमाग पर क्लौट बन गया है।
आपरेशन करना होगा।
एवं पैर का x-ray( एकश रे)करना होगा।शाम
ब्लड के सैम्पल लेने के बाद सबने ब्लड चैक किया। सविता का ब्लड उनके ब्लड से मैच कर गया।
सविता दो युनिट ब्लड देने के लिए तैयार हो गई।
नीयत समय पर आपरेशन हुआ।तीन घंटे आपरेशन चला।
ईश्वर की कृपा से वह सफल‌ हो गया।
चार दिन बाद दिनेश ठीक होकर घर आ गए।
उन्हें आराम करने और मानसिक तनाव न देने को कहा गया।
तीन दिन बीत गये।अब हालत में सुधार था।
सविता बोली, आप कल हमारे साथ नेहरु पार्क में घूमने चलियेगा।
नहीं, मैं नहीं जा पाऊंगा।आप लोग चले जाना।दिनेश ने कहा।
आपने हमें क्षमा नहीं किया है।
प्लीज़, हमें माफ़ कर दीजियेगा। प्लीज़,....
कहते हुए सविता ने दिनेश के कंधे पर अपना सिर रख दिया।
अच्छा, मैंने तुम्हें माफ़ कर दिया।
तुम भी मुझे माफ कर दो। मेरी भी गलती थी।
बच्चे की जिम्मेदारी हम दोनों की है। कहते हुए उसके आंखों से आंसू आ गए।
आप कितने अच्छे हैं , कहते हुए सविता उनकी बाहों से लिपट गई।
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