एक उत्तर उपहार में छिपा होता है।*
🕉 *जय श्री कृष्ण*
*मन और मौन को समझना हर किसी के बस की बात नहीं होती, दुख जहां बांधने का काम करता है वहीं सुख एक दूसरे को बांट देता है, सुख और दुःख में कोई ज्यादा भेद नहीं, जिसे मन स्वीकारे वह सुख, और जिसे अस्वीकारे वह दुःख, सारा खेल हमारी स्वीकृति व अस्वीकृति का ही तो है,...
*मन और मौन को समझना हर किसी के बस की बात नहीं होती, दुख जहां बांधने का काम करता है वहीं सुख एक दूसरे को बांट देता है, सुख और दुःख में कोई ज्यादा भेद नहीं, जिसे मन स्वीकारे वह सुख, और जिसे अस्वीकारे वह दुःख, सारा खेल हमारी स्वीकृति व अस्वीकृति का ही तो है,...