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परिवार का मुखिया
परिवार के मुखिया का असहज होना मतलब पक्का है। परिवार को ले डुबना।विमल ने घर में क़दम रखते ही कहा था आज मम्मी पापा आ रहें हैं ।बच्चों थोड़ा संभल कर रहना। उन्हें कोई शिकायत का मौका मत देना।
उनकी खूब मन लगाकर सेवा करना ,सुबह जल्दी उठ जाना,समय से खाना खा लेना ,उनकी हर आज्ञा का पालन करना वो भी तो देखें हमने कैसे संस्कार दिए हैं तुम्हें..??यह सब सुनकर मीनाक्षी ने कहा शांत हो जाओ ।क्यों इतना डर रहे हो और क्यों घर के सिस्टम को हिला रहे हो....?? वो हमारे माता-पिता हैं कोई दानव नहीं जो इतना घबरा रहें हो..!!पता नहीं तुम्हें उनके नाम से ही क्यों इतनी घबराहट होने लगती है। क्यों डरते हो इतना ..??क्यों उनके नाम से ही असहज हो जाते हो...अब तो हमारे बच्चे भी जवान हो गए हैं फिर भी तुम बच्चों की तरह ही हरकत करते हो.! सुबह उठने में कहीं देर ना हो जाए इसलिए रात रात भर ना तो तुम सोते हो और ना ही हमें सोने देते हो..!! देखो उनकी उम्र हो गई है हमारी नहीं।इस उम्र में नींद थोड़ी कम आती हैं पर अगर हमारी नींद पूरी नहीं हुई तो हम बीमार पड़ जाएंगे.........।।
देखो तुम्हारा यूं असहज होना तुम्हें बीमार कर सकता है।
और तुम्हारी इस हरकत का बच्चों पे क्या असर होगा..?
तुम समझते क्यों नहीं ये दिखावा सब हमारा काम नहीं..?
हम कुछ ग़लत नहीं कर रहें हैं।ना ही हम स्वभाव से बुरे हैं जो उनके आने से हमें ड्रामा करना पड़े या हम असहज महसूस करें...?? अपने माता-पिता के आने से ना तो कोई इतना पैसा खर्च करता है। ना ही कोई इतना असहज होता है। तुम क्यों उनके आने से इतना परेशान हो जाते हो..?? वो कोई दूर के रिश्तेदार नहीं है जो हमें डरने पड़े। की अगर कुछ कम ज्यादा हो गया तो चार कहानियां बनाएंगे..!!मेरी मानो हम जैसे है वैसे ही ठीक है। कुछ भी इधर उधर मत करो। हम पुरी कोशिश करेंगे की उन्हें कोई शिकायत का मौका ना दें।
देखो परिवार के मुखिया का इस तरह से असहज होना
ठीक नहीं है। और तुम उनके बेटे हो, बेटे जैसे रहो उनकी बहू क्यों बन रहें हो..?? मैं हूं ना उनका सब काम करने के लिए।उनकी देखभाल करने के लिए। तुम अपनी जिम्मेदारी निभाओ और मुझे मेरी ज़िम्मेदारी निभाने दो..!
तुम्हारी हरकतों से हम सभी असहज हो जाते हैं।
ना तो ठीक से सो पाते हैं और ना ही सहज हो पाते हैं।
तुम्हारी जो मर्जी तुम करो मग़र थोड़ा सोच समझ कर कहीं तुम अपनी हड़बड़ाहट में अच्छे की वज़ह गलतियां ना कर बैठो..!! देखो अपना और अपनी पदवी का तो मान रखो...! एक मुखिया का दायित्व बहुत बड़ा होता है।
और तुम ही इस तरह असहज हो जाओगे तो बाक़ी का क्या होगा..??सही ग़लत का फर्क कौन समझाएगा..!!
परिवार का मुखिया पीपल की पात की तरह डोलता हुआ नहीं बल्कि स्तंभ की तरह मजबूत होने चाहिए.....!!
किरण