२ अक्टूबर विशेष
२ अक्टूबर की चर्चा होते ही समान्यतः हमारे दिमाग में जो आता है वो है गांधी जयंती. क्योंकि बचपन से हमें सिर्फ गांधी जी को ही प्राथमिकता देना सिखाया गया है. २ अक्टूबर को जन्म लेने वाले माँ भारती के दूसरे सपूत लाल बहादुर शास्त्री के विषय में तो एक छात्र तब जानता है जब वह छात्र जीवन के ८ साल पूरे कर चुका होता है और नागरिक शास्त्र की पुस्तक में देश की आज़ादी के बाद की राजनीति के विषय में पढ़ता है. जहाँ देश के प्रधानमंत्रियों का उल्लेख मिलता है.
मैं ये नहीं कहती कि गांधी जी सम्मानीय नहीं है. लेकिन अगर अहिंसा परमोधर्मः कहने वाला क्रांतिकारी सम्मानीय है तो जय जवान जय किसान कहने वाला और देश में अकाल पड़ने पर देशवासियों से सप्ताह में १ दिन उपवास करने की अपील करने से पहले खुद उसपर अमल करके प्रधानमंत्री आवास का अन्न भंडार गरीबों के लिए खोलकर देश की जनता को अन्न की कमी न हो जाए इस बात का प्रयास करने वाला प्रधानमंत्री भी सम्मान पाने का उतना ही पात्र है.
अब आप कहेंगे कि शास्त्री जी के सम्मान में कहाँ कोई कमी है? इस बात का जवाब आपको आपके आसपास ही मिल जाएगा. अगर आप किसी से पुछेंगें कि आज क्या है? तो उसका पहला जवाब होगा गांधी जयंती फिर आपने पुछा तब उसको शास्त्री जी याद आते हैं. ये कैसा सम्मान है?
ये digital युग है, इस युग में किसी के प्रति प्यार या सम्मान दिखाने का तरीका है उसके लिए १ post/story डालना. अब आप खुद ही देख सकते हैं कि क्या जितनी posts/stories गांधी जी के नाम पर हैं. क्या उतनी ही शास्त्री जी के लिए भी डाली गईं है? इसका जवाब है नहीं. तो क्या यह उपेक्षा नहीं है? आखिर ऐसा क्यों और कब तक? इसका जवाब है क्योंकि राजनीति में कहा जाता है कि किसी नेता का सम्मान उसके दल में होगा तभी जनता सम्मान करती है. तब तक जब तक इनके विषय में जनता में जानकारी न फैलाई जाए.
© kalyani
मैं ये नहीं कहती कि गांधी जी सम्मानीय नहीं है. लेकिन अगर अहिंसा परमोधर्मः कहने वाला क्रांतिकारी सम्मानीय है तो जय जवान जय किसान कहने वाला और देश में अकाल पड़ने पर देशवासियों से सप्ताह में १ दिन उपवास करने की अपील करने से पहले खुद उसपर अमल करके प्रधानमंत्री आवास का अन्न भंडार गरीबों के लिए खोलकर देश की जनता को अन्न की कमी न हो जाए इस बात का प्रयास करने वाला प्रधानमंत्री भी सम्मान पाने का उतना ही पात्र है.
अब आप कहेंगे कि शास्त्री जी के सम्मान में कहाँ कोई कमी है? इस बात का जवाब आपको आपके आसपास ही मिल जाएगा. अगर आप किसी से पुछेंगें कि आज क्या है? तो उसका पहला जवाब होगा गांधी जयंती फिर आपने पुछा तब उसको शास्त्री जी याद आते हैं. ये कैसा सम्मान है?
ये digital युग है, इस युग में किसी के प्रति प्यार या सम्मान दिखाने का तरीका है उसके लिए १ post/story डालना. अब आप खुद ही देख सकते हैं कि क्या जितनी posts/stories गांधी जी के नाम पर हैं. क्या उतनी ही शास्त्री जी के लिए भी डाली गईं है? इसका जवाब है नहीं. तो क्या यह उपेक्षा नहीं है? आखिर ऐसा क्यों और कब तक? इसका जवाब है क्योंकि राजनीति में कहा जाता है कि किसी नेता का सम्मान उसके दल में होगा तभी जनता सम्मान करती है. तब तक जब तक इनके विषय में जनता में जानकारी न फैलाई जाए.
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