ये प्यार है पार्ट 1 समर का अपने रेस्टोरेंट्स जाना
हेल्लो फ्रेंड मेरा नाम समर दानियाल मै कभी फैशन आइकॉन क नाम से मशहूर था । पर अभी मै कंगाल होकर एक रेस्टोरेंट चला रहा हूँ। जनवरी का महीना यानी सर्दी का मौसम था , मै अपने घर से कार से निकलता है। चारो तरह घना कोहरा होता है , कुहरा इतना घना होता है कि सामने वाला व्यक्ति भी मुश्किल से दिख रहा होता है और साथ ही ठन्ड भी अपने चरम पर होती है। ऐसे में दूसरा माहौल भी चरम पर होता है, यानि गर्मी प्राप्ति का माहौल। हर तरफ लोग गर्मी प्राप्ति की जुगाड में रहते है ऐसे में चार चांद लगा देता है, कुहरे का घना अंधेरा है। ऊपर से यह दिल्ली शहर जहां, कुहरा पूरे दिन भर छाया रहता है और आज तो कुहरे ने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया था| दिन भी ऐसा लग रहा था मानो रात हो गयी हो जिससे ट्रैफिक इतना अधिक बढ़ गया था कि कारे कछुए की चाल चल रही थी । कई जगह तो ट्रैफिक इतना ज्यादा था कि कार में ही दिन गुजर डर लगा रहा था । ऐसे में ऑफिस जाने के लिए दो दो घंटे पहले निकलना पड़ता है। कुछ ऐसा ही आज मेरे के साथ होने जा रहा था। आज उसका दिल बड़ा ही बैचेन था। उसका दिल बार बार यही कह रहा था आज उसके साथ कुछ बुरा होने वाला है , पर पैसो का लालची मन मानने को कहां तैयार था। मेरे मन मे बार बार यही विचार आ रहे थे कि सर्दी इतनी ज्यादा है तो ग्राहक भी ज्यादा आयेगे। यह बात मुझे रेस्टोरेंट की ओर जाने के लिए मजबूर कर रही थी। मै आराम आराम से धीरे धीरे कार चलाकर अपने रेस्टोरेंट पहुंचता हूँ और रेस्टोरेंट्स के बाहर अपनी कार रोककर कार का गेट खोलकर नीचे उतरकर कार को लॉक करकर अपने रेस्टोरेंट के अंदर आता हूँ । जहां मेरा पार्टनर रोहन जो कि रेस्टोरेंट्स मे मैनेजर का काम देखता है। चेयर पर बैठा होता है। वह मुझे देखकर खड़ा हो जाता है और चलने लगता है ....- "क्या कर रहा था ? ब्रो ,देख .....कितने ग्राहक बैठे हुए है। " मेरे पास...