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NIKKU chapter no.16
निक्कू मुझसे तुम कुछ पूछ रही थी क्या पूछ रही थी बोलो
निक्कू बोली मैं पूछ रही कि तुम्हारी फैंटेसी क्या है?
जैसे है मेरा सिसव के साथ बारिश मैं भींग कर किश करना ओर तुम्हारी क्या है ,निक्कू को पता नही था कि ये सब से मेरे दिल को कितना दर्द कितना दुख पहुचता था शायद उसे कुछ नही पता,पर फिर भी उसके खुसी के लिए बातें कर लेता था और तो ओर मुझे उस वक़्त तो ये भी मालूम नही था कि क्या होता है फेंटेसी मतलब कल्पना
ओर मैं अपने दोस्त राकेश से पूछता था कि इसका मतलब क्या होता है तो वो बताता था फिर पूछता था कि निक्कू पूछ रही है मेरी फेंटेसी तो मुझे क्या बोलना चाहये तो वही बताता था तो मैंने बोला भाई तू ही लिख दे मुझे कुछ समझ नही आ रहा...फिर उसने बोला तू ही लिख सही रहेगा मुझे नींद आ रही है मैं जा रहा हु सोने,
उन दिनों न जाने क्यों पर निक्कू से बहोत बात करता था वो सब बात जो एक एहसास ओर जज्बात को बेकाबू कर दे कुछ वक्त तो ऐसे भी होता था कि हैं दोनों इतने बहक जाते थे जितना कि किसी प्रेमी जोड़ी मैं होता है, की जब दो प्रेमी आपस मैं बात करते है वेसे हमलोग करते थे कुछ भी छिपी नही थी हमलोगों मे, जबकि हम सिर्फ एक दोस्त थे।।
दिन ढलते जा रहे थे ,जैसे जैसे दिन गुज़रे इन्तेहान भी आ गयी हमारी पहली मिड सेम भी आ गयी निक्कू भी पढ़ने लगी और मैं भी ,एग्जाम खत्म हो गयी लेकिन हमारी बातें नही,
मैं उसके लिए वो हर चीज करने लगा जो शायद एक दोस्त होने के नाते मुझे करना चाहए था,निक्कू का उस समय एटीएम नही था तो उसका पैसा मेरे मैं ही आता था ओर किसी समान का र रीफण्ड भी सब मेरे मैं ही आता था ,तो मै ही निकालता था और जब वो बोलती उसे दे देता था जब उसे जरूरत पड़ी मैं खरा था एक साया बनकर उसके साथ,
निक्कू को शॉपिंग का बहोत शौख था और शायद आज भी है वेसे भी लड़कियों मैं ये सब तो आम बात है और निक्कू को कुछ ज्यादा ही था ,
उसकी पसंद भी मैं करने लगा था जैसे कि मैं ही सबकुछ हो पर ये भी सच था कि हम दोनों की पसंद एक थी इसीलिए वी अपने सारे कपड़े मुझसे ही पसन्द करवाती थी,कभी कभी क्या होता था कि मैं निक्कू से गुस्सा हो जाता था या हमारी लड़ायी हो जाती थी तो वो रितेश से मदद लेती थी और वो भी उस समय उसका दोस्त था और वो मदद करता भी था पर जब मुझे ये बात पता चलती तो मैं निक्कू पे बहोत गुस्सा करता और उसे डांटता भी था कि मैं हु न फिर क्यों तुम उससे मदद ली फिर निक्कू भी बोलती की अब से ऐसा नहि करूँगी।।
मैंने बोला ठीक है जब तक मैं हु निक्कू तुझे किसी भी चीज के लिए कोई दिक्कत नही होगा ,जब भी तू बोलेगी मैं तुम्हारे साथ रहूंगा।
एग्जाम के बाद छठ आने वाली थी जो बिहार वालो के लिए एक खुसी की पल थी और हम लोग के लिए तो ओर क्योंकि कॉलेज के बाद पहली बार घर जाना था पर प्रोब्लेम तो यह हुई कि मिड सेम 2 था और इसका तारीख कोई ठीक ही नही था फिर भी इसमें बहोत बच्चो ने मदद की जैसे कि मनीषा तो सबसे आगे थी लगभग सभी ने ओर तो ओर कुछ तो दिल्ली वाले भी कम नही थे जिसमें सबसे आगे नितेश था और रूपेश ओर हमारे शिक्षक भी साथ दिया तब जाके कहि हमे जाने की अनुमति मिली, पर सबसे ज्यादा नुकसान मेरे दोस्त राकेश का हुआ उसने तो यह 3 बार टिकट कैंसिल करवा लिए इसी छुटी के लिए पर फिर भी हमे आखिर मैं मिल ही गया और हम घर जा रहे थे कितनो दिनों बाद।
एक उत्साह का माहौल था जो कि आज भी मन को अच्छा प्रतीत होता है कि वो भी क्या दिन थे।।

To be continued....