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विश्वास
जिस भावना पर हो "विश्व की आस" उन मन,मस्तिष्क की भावना को हम "विश्वास" कह सकते है। विश्वास करना, विश्वास न करना या अविश्वास हमारे जीवन को चलायमान करने के लिए नितांत आवश्यक है। "विश्वास करना" या "अविश्वास" और "विश्वास न करना" सभी "विश्वास" के पहलू है। जीवन इन तीनो भावनाओं को साथ लेकर चलता है। जीवन के किसी भी अवस्था मे विश्वास की इन तीनो पहलुओं में से किसी न किसी एक की तीव्रता ज्यादा होती है बाकी अन्य पहलू नगण्य रहते है या फिर यह विश्वास के पहलू उसी अवस्था मे पल पल बदलते रहते है।
विश्वास करना हमे ज़माने के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने का सामर्थ देता है जब हम सड़क पर चलते है तो अन्य राहगीर या वाहन चालकों पर हमें विश्वास रखना अत्यंत जरूरी है कि सभी सड़क पर अपने पूर्व निर्धारित...