सुधा दी भाग-4
पिछले भाग में आपने पढ़ा कि सुधा की आत्मा ने मनु को सारा वृत्तांत एक चलचित्र की भांति दिखाया जिसे देखकर मनु आग बबूला हो गई।एक तरफ़ सुधा के घरवालों का उसके प्रति अन्यायपूर्ण व्यवहार उसको बुरा लगा दूसरे उसके पति की नासमझी के कारण सुधा को अपने जान से हाथ धोना पड़ा।
दूसरे दिन मनु ने विनोद को नाश्ता दिया और दफ्तर के लिए उसका टिफिन तैयार किया और बिलकुल सामान्य बनी रही। विनोद के दफ्तर जाते ही वो बाज़ार गई और वहां से एक छोटा सा टेंप रिकार्डर ले आई( ये कहानी उस समय की है जब मोबाईल फ़ोन नहीं होते थे) और घर आ गई।इस बीच उसने अपने भाई के दोस्त जो कि पुलिस विभाग में थे उसे सारा वृत्तांत कह सुनाया।अब बस उसे सबुत इकट्टे करने थें।
रात सारा काम निपटा कर मनु कमरे में आई। विनोद तब किताबों में व्यस्त...
दूसरे दिन मनु ने विनोद को नाश्ता दिया और दफ्तर के लिए उसका टिफिन तैयार किया और बिलकुल सामान्य बनी रही। विनोद के दफ्तर जाते ही वो बाज़ार गई और वहां से एक छोटा सा टेंप रिकार्डर ले आई( ये कहानी उस समय की है जब मोबाईल फ़ोन नहीं होते थे) और घर आ गई।इस बीच उसने अपने भाई के दोस्त जो कि पुलिस विभाग में थे उसे सारा वृत्तांत कह सुनाया।अब बस उसे सबुत इकट्टे करने थें।
रात सारा काम निपटा कर मनु कमरे में आई। विनोद तब किताबों में व्यस्त...