...

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मेरे पास
दरवाजा खुला था अभी...रात का वक़्त था। मैं किचन में फोन चला रही थी। बाहर बारिश हो रही थी। अचानक कोई दरवाजा खोल कर आया।
मुझे कुछ अलग सा महसूस हुआ। मैं तुरंत देखने चली इतने में तुम किचन आ गए। मैं हैरान हो गई।
अशर तुम यहां ..उसने मुझे एकदम गले से लगा लिया। मैंने भी उसे गले से लगा लिया। मेरी आंखो में आंसू आ गए। हम रोने लग गए।
वो बोला कि मैने घर छोड़ दिया है। और मुझे नहीं पता अब आगे क्या होगा। जो भी होगा पर अब मुझसे और नहीं हो पा रहा था। आखिर कब तक मैं ऐसे रहता। मैं आ गया।
मैने कहा ठीक है। हम बाद में देखेंगे। मैने आग जलाई चूल्हे में लकड़ियां डाल कर। वो पूरा भीग गया था। वो बोला :- तुम जितना सहन कर रही थी ना, मैं भी उतना ही सह रहा था। उसकी आंखें भर आई। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे उसने अपने खड़ूस होने कि दीवार अब तोड़ दी। और मैने उसकी आंखों में वही प्रेम देखा। जो सालों पहले हुआ करता था। वो मेरी गोदी में सो गया। सर्दी का मौसम और ठंड , मैं आग में हाथ गर्म करके उसके माथे और सर पर फेर रही थी। उसे कह रही थी:- अब सबकुछ ठीक है, मैं तुम्हारे साथ हूं। सब ठीक हो जाएगा। वो रात सुकून भरी थी। जैसे सबकुछ पा लिया। अब ज़िन्दगी इसी पल में थम जाए। और वो मुझसे दूर कभी ना जाए, सपने में भी नहीं। मगर इसी बीच वो जैसे गायब होने लगा। मैं घबरा सी गई। मेरी आंख खुल गई। सुबह के नौ बजने को दस मिनट थे। ये एक सपना था।
💔
© jyoti