दो दिलों का प्यार ( आखिरी भाग - 21 )
ऑफिस में चारों तरफ बस प्रेम अंजलि की ही चर्चा हो रही थी। दो महीने बीत गए, उनके ज़िन्दगी में बॉस और असिस्टेंट का रोल हटकर एक नई जिंदगी की शुरुआत करने का सही वक्त आ गया था। रात को अंजलि बेड पर लेटी अपनी ज़िंदगी की हर एक पल को याद कर रही थी, मानों की जैसे उसके लिए यह सब एक सपना जैसा हो, प्रेम का जिस तरह मेरी ज़िंदगी में आना, ऐसा लगता है कि सब बदल सा गया है। उसी वक़्त प्रेम का कॉल आता है, और वो कहता है कल मेरे घरवाले आएंगे तुम्हें देखने के लिए प्रेम कहता है। क्या सच्ची में.... अंजलि एक दम खुशी के साथ कहती है। वैसे मेरे मम्मी ने तुम्हें पसंद कर लिया है, में क्या सोच रहा था कि में तुम्हें कल ही अपने साथ ले जायूँ, अंजलि मुस्कुरा कर कहती है, अच्छा जी... लगता है तुम मेरे बिना एक सेकंड नही रह पा रहे। ये बाते सुन प्रेम हँसने लगता है। पूरी रात भर वो दोनों फ़ोन से बात करते रहे। अगले दिन धूमधाम...