पहली मुलाकात:कर्ण और दुर्योधन
महाभारत पर आधारित टेलीविजन सीरियलों और अनगिनत मूवी में ऐसा दिखाया जाता रहा है कि दुर्योधन की मुलाकात कर्ण से सर्वप्रथम युद्ध क्रीड़ा के मैदान में हुई थी। गुरु द्रोणाचार्य पर भी ये आरोप लगाया जाता रहा है कि उन्होंने कर्ण को धनुर्विद्या सिखाने से मना कर दिया था, क्योंकि कर्ण सूतपुत्र थे। जबकि वास्तविकता तो कुछ और हीं है।
ना तो कर्ण की मुलाकात दुर्योधन से सर्वप्रथम युद्ध क्रीड़ा के मैदान में हुई थी और ना हीं गुरु द्रोणाचार्य ने कर्ण को कभी धनुर्विद्या सिखाने से मना किया था। महाभारत के आदिपर्व में जिक्र आता है कि कर्ण और दुर्योधन एक दूसरे को बचपन से हीं जानते थे।
बचपन में जब भीम दुर्योधन के भाइयों को तंग करते थे तो दुर्योधन ने चिढ़कर भीम को विष पिला दिया । इसका परिणाम ये हुआ कि भीम मृत्यु के करीब पहुंच गए। ये और बात है कि भीम के शरीर में वृक नामक अग्नि थी जिस कारण वह जीवित बच गए।
"यद्यपि वह विष बड़ा तेज था तो भी उनके लिये कोई बिगाड़ न कर सका | भयंकर शरीरवाले भीमसेनके उदरमें वृक नामकी अग्नि थी; अतः वहाँ जाकर वह विष पच गया || 39 ॥"
महाभारत महाग्रंथ के आदि पर्व महाभाग के संभव पर्व उपभाग के अष्टाविंशत्यधिकशततमोऽध्यायः अर्थात अध्याय...
ना तो कर्ण की मुलाकात दुर्योधन से सर्वप्रथम युद्ध क्रीड़ा के मैदान में हुई थी और ना हीं गुरु द्रोणाचार्य ने कर्ण को कभी धनुर्विद्या सिखाने से मना किया था। महाभारत के आदिपर्व में जिक्र आता है कि कर्ण और दुर्योधन एक दूसरे को बचपन से हीं जानते थे।
बचपन में जब भीम दुर्योधन के भाइयों को तंग करते थे तो दुर्योधन ने चिढ़कर भीम को विष पिला दिया । इसका परिणाम ये हुआ कि भीम मृत्यु के करीब पहुंच गए। ये और बात है कि भीम के शरीर में वृक नामक अग्नि थी जिस कारण वह जीवित बच गए।
"यद्यपि वह विष बड़ा तेज था तो भी उनके लिये कोई बिगाड़ न कर सका | भयंकर शरीरवाले भीमसेनके उदरमें वृक नामकी अग्नि थी; अतः वहाँ जाकर वह विष पच गया || 39 ॥"
महाभारत महाग्रंथ के आदि पर्व महाभाग के संभव पर्व उपभाग के अष्टाविंशत्यधिकशततमोऽध्यायः अर्थात अध्याय...