कुछ विरोधात्मक बातें जिंदगी की और मानसिक विकार
जिंदगी में कई बातें विरोधात्मक होती हैं ,जैसे जो चीज हमें बचपन में सही लगती है ,वह बड़े में अजीब लगने लगती हैं, और शायद इसी को जिंदगी कहते हैं ।
जैसे बचपन से लेकर बड़े तक हम लड़कियों को बहुत सारी बातें और तौर तरीके बताएं जाते है। मुझे ये लगता है की बच्चों की परवरिश में अच्छा बुरा सब बातें बतानी चाहिए , और कभी-कभी जिंदगी की बहुत ही कड़वी सच्चाई भी बताना बहुत ज़रूरी होता है।
हम सब लोग पता नहीं कैसी परवरिश देना चाहते हैं अपने बच्चों को ये कई बार हम को खुद नहीं पता रहता।
जब तक किसी व्यक्ति के पास रुपए नहीं रहते वह कहता है की ज्यादा रुपए हानिकारक होता है ,उतना ही होना चाहिए जितनी जरूरत, अगर बेटा नहीं है तो बोलते हैं, हमारी बेटियां ही बेटा, और अगर आधुनिकता की कमी है तो बोलते हैं हमको इसकी कोई जरूरत ही नहीं है। परंतु अगर रुपए हो जाए, बेटा हो जाए ,और आधुनिकता में भी बढ़ जाए तो वही जो हम पहले एक...
जैसे बचपन से लेकर बड़े तक हम लड़कियों को बहुत सारी बातें और तौर तरीके बताएं जाते है। मुझे ये लगता है की बच्चों की परवरिश में अच्छा बुरा सब बातें बतानी चाहिए , और कभी-कभी जिंदगी की बहुत ही कड़वी सच्चाई भी बताना बहुत ज़रूरी होता है।
हम सब लोग पता नहीं कैसी परवरिश देना चाहते हैं अपने बच्चों को ये कई बार हम को खुद नहीं पता रहता।
जब तक किसी व्यक्ति के पास रुपए नहीं रहते वह कहता है की ज्यादा रुपए हानिकारक होता है ,उतना ही होना चाहिए जितनी जरूरत, अगर बेटा नहीं है तो बोलते हैं, हमारी बेटियां ही बेटा, और अगर आधुनिकता की कमी है तो बोलते हैं हमको इसकी कोई जरूरत ही नहीं है। परंतु अगर रुपए हो जाए, बेटा हो जाए ,और आधुनिकता में भी बढ़ जाए तो वही जो हम पहले एक...