...

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मेरा अराध्य मेरा इश्क़....
उसदिन सुबह से ही सूरज मे आग बहुत तेज धधक रही थी जैसे उसने ठान ही लिया था आज सबकुछ जला के खाक कर देना है।
इतनी क्रूरता की वजह मै आजतक नही समझ पाया, क्या बिगाडा था मै उसका या किसी का भी, बस इस दुनिया से अलग एक छोटी सी दुनिया बसाने हिमाकत की थी।
सुना था प्यार से बढकर कोई जज्बात नही है प्यार ही हर रिश्ते का आधार है, तो मैने क्या गुनाह किया ,जो प्यार किया..??
एक मै ही तो नही हूँ जिसने इश्क़ किया ?
दुनिया जबसे बनी है लोग प्यार करते आए है, जिसने जिसको समझा उसे चाहा, घर बसाया, मैने ऐसी क्या खता करी ?? ये...