...

4 views

//पहली मुलाकात//
आज सुबह होने से पहले ही मैं जाग गई, या यूं कहूं कि 'सागर' के साथ मिलने जाने की बेचैनी और खुशी के कारण मैं रात भर सोई ही नही थी। रात भर उसके साथ सपनों में घूमती रही। सबके जागने से पहले ही मैं जाग चुकी थी और तैयार होकर सुबह के होने का इंतज़ार कर रही थी बार- बार शीशे में खुद को देखकर खुद से ही शर्मा रही थी, और रह रहकर घड़ी देखती और सोचती कहीं मुझे पहुंचने में देर ना हो जाए।
माँ आज काफ़ी हैरान थी मुझे देखकर, कि मैं आज उनके बिना जगाए ही कैसे उठ गई और उनके उठने से पहले ही नहा धोकर तैयार कैसे हो गई। आज मैने उनके बिना कहे ही पौधों में पानी भी डाल दिया था।
आज "बस स्टैंड"में भी शायद मैं ही सुबह की सबसे पहली यात्री थी, कुर्सी पर बैठकर मैं सिर्फ उसी के बारे में सोचे जा रही थी, कॉलेज की एक एक बाते जो उससे तालुकात रखती थी मुझे अंदर से गुदगुदा रही थी,उसका मेरे तरफ बार बार देखना, नए नए बहाने बनाकर हर दिन मुझसे मिलना, बस स्टॉप में मेरा इंतज़ार करना और ना जाने कितनी ही बातें थी जो मेरे स्मृतियों को पल भर के लिए भी नही छोड़ रही थी।आज सारा समा हसीन लग रहा था, सुबह का मौसम मुझे हमेशा से ही पसंद है, पर आज तो सब कुछ नया सा लग रहा था, ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो खिलती धूप, मृदुल हवा,खिले फूलों से हंसता हुआ पेड़,रास्ते, गाती हुई पंछियां सब मुझसे मेरी खुशी का राज पूछ रहे हो, इधर - उधर मेरी नज़र उसे ढूंढ़ रही थी के अचानक मैंने उसे देखा सफ़ेद कमीज़ के ऊपर नीली धारियां और काले रंग का साधारण पैंट पहना हुआ था, ये वही लिबाज़ था कॉलेज में मैने जिसकी तारीफ करते हुए कहा था, "सागर जी आज आप बहुत अच्छे लग रहे है",और बड़े सहजता से कहा था "मुझे सफेद और काली रंग बहुत पसंद हैं" उसी लिबास में वो आज और भी खिल रहा था, उसको देखते ही मेरी धड़कती हुई धड़कनों ने और जोरों से धड़कना शुरु कर दिया, उसका सादगी और सरलता ही तो मुझे उसकी ओर हमेशा आकर्षित करता था। आज हमारे प्यार के रिश्ते की पहली मुलाकात के दिन भी वो उसी सादगी भरे लिबाज़ में था,मुझे इस बात की खुशी और गर्व दोनो हुआ।
मैं उसे आवाज़ लगाने ही वाली थी पर मेरे दिल ने मुझे रोक लिया, क्योंकि दिल को मुझे ढूंढती हुई आँखों को कुछ पल के लिए देखना था, इसलिए उसके तरफ एक टक देखते हुए मैंने खुद को कुछ देर के लिए बस के पीछे छुपा लिया, मैं उसे कुछ देर तक बिना पलके झपकाए हुए देखती ही रही,उसके गोरे गालों पर आज कुछ ज्यादा ही चमक था,कॉलेज में भी तो मैं उसको इसी तरह से छुप छुप कर देखा करती थी,उसका शर्मीलापन मुझे बहुत आकर्षित किया करता था,जब भी मेरी सहेलियां उसको मेरा नाम लेकर छेड़ा करती थी, उसका चेहरा लाल हो जाता था मैं जानती थी की वो मुझसे बहुत प्यार करता है फिर भी मैने कभी भी उसके सामने उसके प्रति मेरी कमजोरियों को जाहिर नही होने दिया था,क्योंकि मुझे उसके मुख से अपने प्यार का प्रस्ताव पाने की चाह थी, विजय जो हम दोनो का ही दोस्त था,उसी ने मुझसे आकर आज के मिलने का दिन ठीक किया वो बार बार अपने घड़ी की तरफ देख रहा था,और इधर उधर मुझे ढूंढे जा रहा था, मुझसे ज्यादा देर तक उसकी परेशानी देखी नही गई और मैं बस के पीछे से मुस्कुराती हुई अंजान बनी उसे ढूंढने की नाटक करने लगी, फिर उसने ख़ुद मुझे देख लिया और भागता हुआ मेरे पास आ गया, बड़े नम्रता से मुस्कुराते हुए मेरी ओर हाथ को बढ़ाकर उसने कहा-'हेलो' मेघा कैसी हो!
मैने भी हाथ मिलाते हुए कहा - 'हेलो'! उसके हाथ का स्पर्श पाते ही मेरे पूरे बदन में बिजली की लहर दौड़ गई, सांसे तेज होने लगी, मैने जल्दी से अपने हाथ को हटाकर ख़ुद को संभालते हुए कहा -'हेलो ठीक हूं और आप? उसने कातिल मुस्कुराहट के साथ जवाब दिया कल तक तो ठीक नही था पर अब ठीक हूं, मैं शर्म से आंखे नीचे की ओर झुकाकर हंस पड़ी, फिर इधर उधर देखते हुए धीरे से कहा,"मैं बस में जाकर बैठ जाती हूं,आप कुछ देर बाद आ जाना",उसने मुझे छेड़ते हुए कहा,"हम्मम्म ओके लेकिन तुम किसी और को अपने बगल में नही बिठा लेना"।फिर हंसते हंसते मैं बस में जाकर बैठ गई।

बस तेजी से चली जा रही थी मेरे पास 'कॉलेज' जाने का एक छोटा बस्ता था पर उसके हाथों में कुछ भी ना था,पहले मेरे घर के सदस्यों के बारे में पूछने के बाद उसने मेरे बारे में पूछना शुरू किया, हम दोनो एक सीट में होने के बावजूद दूर - दूर थे,पर दोनो को दोनो की धड़कने सुनाई दे रही थी,ना जाने कबसे मुझे इस दिन का इंतज़ार था, मुझे ऐसा लग रहा था के आज मेरा सपना पूरा होने वाला है,आज जरूर वो मुझे 'प्रपोज़' करेगा पिछले एक साल से मैने उसके आँखों में मेरे लिए प्यार तो देखा था, पर वो कभी मुझे सीठी तरह से कह नही पाया मुझे ऐसा लगता था के उसे मौका ही नही मिलता है शायद दोस्तों के बीच, तभी तो कितनी मुश्किल से मैने आज का ये बहाना बनाया था,मेरी कोई जरूरी क्लासेज़ नही थी कॉलेज में, फिर भी मैने सबसे झूठ बोला के मुझे सुबह - सुबह कॉलेज जाना है,उसको जिस दिन शहर में काम था मैने भी वही दिन चयन किया था ताकि साथ जा सके और मेरा शर्मिला दोस्त मेरे सामने अपने दिल का प्रस्ताव रख सके।
तभी मेरा ध्यान हटाते हुए उसने टोका- "घर में क्या बताया तुमने"।
मैने हंसकर कहा- "कॉलेज जा रही हूं,आज जल्दी जाना है क्योंकि 'एक्स्ट्रा क्लासेज़' चल रहे है और आप"?
वो मुस्कुराते हुए कहने लगा मुझसे कोई कुछ नही पूछता,सब जानते है के मैं हर सोमवार को शहर में बिजनेस के काम से जाता हूं।
आपस के बातों में समय का पता ही नही चला और शहर आ गई उसने नीचे उतरते हुए पूछा - "'मेघा' पहले 'रेस्टोरेंट' में चलकर कुछ खा ले मैने भी घड़ी देखते हुए कहा- हां चलिए अभी मेरे कॉलेज को काफ़ी वक़्त है।
और ऑटोरिक्शा में बैठते हुए मैने कहा 'पीज़ा हाउस' चले यहां पास में ही है,वो राज़ी हो गया, अंदर जाते ही उसने पहले 'आइसक्रीम' ऑर्डर किया मैने हैरान होकर पूछा- "आपको याद है अब तक मेरी पसंद"। वो मुस्कुराते हुए कहने लगा क्यों न हो तुम मेरी बेस्ट फ्रेंड जो ठहरी। फिर 'आइसक्रीम' के बाद 'एग्रोल' खाते - खाते दोनो ने अपनी पिछली ज़िंदगी के बारे में बाते की। आज ना तो
बस में वापिस लौटते वक़्त मुझे घबराहट होने लगी मुझे उसे छोड़कर जाने का मन नही कर रहा था, ऐसा लग रहा था ये तीन घंटे अभी खत्म हो जाएगी और मैं उससे फिर बिछड़ जाऊंगी।
मैं जब भी उसके तरफ देखती उसे मेरे तरफ ही देखते हुए पाती।
अब और बस आधे घंटे का सफ़र बचा था, तभी अचानक इधर - उधर की बातें करते करते वो अचानक कह दिया- "क्या तुम मुझसे प्यार करती हो"
मेरे अंदर अजीब सी हलचल होने लगी,दिल जोरों से धड़क उठी,आँखें अपने आप बंद हो कर धड़कनों को संभालने की कोशिश करने लगी और मुख से अकस्मात ही निकल गया
"यस"! दिल से आवाज़ आई तुम्हे क्या मालूम ये बात सुनने के लिए मेरे कान पिछले एक साल से तड़प गए थे,मैने अपने छलकते आँखों से उसके तरफ देखा तो उसके आँखों में भी खुशी के आँसू दिखे अचानक से मेरे हाथों को थामकर उसने जैसे ही पूछा कि -"फिर कब मिलोगी", झटके के साथ बस रुक गई और मैने ना चाहते हुए भी उसके हाथों से अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा-"बाय सागर अपना ख्याल रखना"...।।
©हेमा