...

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किस्मत का खेल...
एक लड़की की कहानी
सुनो मेरी जुबानी
लड़की थी दीवानी
करती थी अपनी मनमानी
मस्त रहती थी मस्ती में
आग लगती चाह बस्ती में।

वक़्त फिर बदल गया
समय ने साथ उसका बचपन
छीन गया।
जिम्मेदारियों से जीवन जड़ गया
जीने का नजरिया बदल गया।
शांत हो गई उसकी मुस्कान
रूक गई उसकी उड़ान ।

पर दर्द अभी कम थे
जिंदगी को करने सितम थे
कागज कलम उसके लिए मलम थे।

शरीर हो रहा कमजोर था
बिमारियों ने मचाया शोर था ।
जिंदगी से लड़कर मरना उस ने किया
मंजूर था
शायद यह था
उसकी किस्मत का खेल।




© shivani jain