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चमत्कार करती है हिंदी..!!
आज हिंदी दिवस के शुभ अवसर पर मुझे बरसों पुरानी एक घटना जो मेरे साथ सालों पहले
घटित हुई थी याद आ रही है।
कुछ बरस पहले मैं ट्रेनिंग के सिलसिले में मुंबई गया हुआ था और हम सभी वहां एक रिजार्ट में ठहरे हुए थे।उसी बीच पंद्रह अगस्त भी आ गया। रिजॉर्ट के मैनेजर ने झंडा फहराने का कार्यक्रम रखा और सौभाग्य से ध्वजारोहण करने का यह शुभ अवसर मुझे मिला। मैं स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहा था।
बहुत ही शालीनता के साथ हमने ध्वजारोहण का कार्यक्रम संपन्न किया।और उसके बाद गीत गान और भाषण का प्रोग्राम शुरू हुआ। हमारे साथ दूसरी कम्पनी के भी मैनेजर और उनके सहकर्मी थे । जो उसी रिजार्ट में ठहरे हुए थे।सबने अपनी अपनी बातें इंग्लिश में कहीं किंतु जब मेरी बारी आई तो मैं अपनी बातें अपनी मातृभाषा हिंदी में कहीं जिसे सुनकर वहां उपस्थित लगभग सभी लोगों की पहले तो आंखें नम हो गई और
बाद में उनके चेहरे पर मुस्कान थिरक उठी और तालियों की गड़गड़ाहट से मुझे ये समझते देर नहीं लगी कि मैं कहीं ना कहीं उन सबको इस विषय वस्तु से जोड़ पाया। तब मुझे इस बात का आभास हुआ कि चाहे हम ऊपर से कितना ही क्यों ना बदल जाएं
हम अपनी सभ्यता संस्कृति खान पान रहन सहन और बोली भाषा तक बदल लें किन्तु हमारी अंतरात्मा पे आज भी राज करती है हिंदी..!!
उस वक्त स्वयं को कृतार्थ महसूस कर रहा था। और मुझे गर्व हो रहा था अपनी मातृभाषा पर..!!
हिंदी मेरा अभिमान है।
सच ..!चमत्कार करती है हिंदी..!!
किरण