कान्हा के चमत्कार
आज सुबह जब गीता उठी,उसे तेज सर्दी जुखाम हो रखा था।
आज उसका गुरुवार का व्रत भी था।
उसने इक दिन पहले ही नाक में नथ पहनी थी।
जो उसे जुखाम होने की वजह से बहुत दुख दे रही थी।
लेकिन नथ वो उतारना भी नहीं
चाहती थी।उसे अपने चेहरे पे
इक बदलाव आया अच्छा लग
रहा था।उसने अपने लिए
काढ़ा बनाकर पी लिया।
जिससे उसे थोड़ा आराम आ गया।
थोड़ी ही देर में उसकी कामवाली बाई कमली आ गई।
कामवाली से काम करवा कर
उसने उसे अपनी बेटी के जन्मदिवस की मिठाई व कुछ
पैसे दिये।
इसके बाद वो नित क्रिया व पूजा पाठ कर।
छत पे धूप सेंकने चली गई।
अचानक ही उसका हाथ नाक पे गया। उसके नाक में नथ नहीं थी।
उसने घर आ सारा घर छान मारा।
लेकिन...
आज उसका गुरुवार का व्रत भी था।
उसने इक दिन पहले ही नाक में नथ पहनी थी।
जो उसे जुखाम होने की वजह से बहुत दुख दे रही थी।
लेकिन नथ वो उतारना भी नहीं
चाहती थी।उसे अपने चेहरे पे
इक बदलाव आया अच्छा लग
रहा था।उसने अपने लिए
काढ़ा बनाकर पी लिया।
जिससे उसे थोड़ा आराम आ गया।
थोड़ी ही देर में उसकी कामवाली बाई कमली आ गई।
कामवाली से काम करवा कर
उसने उसे अपनी बेटी के जन्मदिवस की मिठाई व कुछ
पैसे दिये।
इसके बाद वो नित क्रिया व पूजा पाठ कर।
छत पे धूप सेंकने चली गई।
अचानक ही उसका हाथ नाक पे गया। उसके नाक में नथ नहीं थी।
उसने घर आ सारा घर छान मारा।
लेकिन...