मन की कसक
ममता की सास ससुर इस साल फिर आने वाले थे।
जैसे ही उनके आने की खबर ममता के कानों में पड़ी तो
वो अंदर से कांप उठी......!!सोचने लगी फिर से मुझे वही सब झेलना पड़ेगा.! फिर से वही जिल्लत ,वही कहा सुनी वही उलहना ..!!पता नहीं उसकी सास को उससे क्या दुश्मनी थी जो ममता जैसी सुशील बहू को इतना प्रताड़ित करती थी। सुबह से लेकर शाम तक उनके आगे पीछे डोलते रहती उनकी पसंद का खाना बनाती उनके पैर दबाती, कपड़े धोती और घर के सारे काम काज बिना एक भी आवाज के करती।उसकी सास जो जब बोलती वो करने के लिए ममता हर वक्त हाजिर रहती.......!!
महंगे से महंगे साड़ियां, चप्पल पर्स और भी ज़रुरत की सारी सामग्री बिना उनके कहें ही वो उपलब्ध कराती।
उन्हें तकलीफ कुछ नहीं थी। पर...
जैसे ही उनके आने की खबर ममता के कानों में पड़ी तो
वो अंदर से कांप उठी......!!सोचने लगी फिर से मुझे वही सब झेलना पड़ेगा.! फिर से वही जिल्लत ,वही कहा सुनी वही उलहना ..!!पता नहीं उसकी सास को उससे क्या दुश्मनी थी जो ममता जैसी सुशील बहू को इतना प्रताड़ित करती थी। सुबह से लेकर शाम तक उनके आगे पीछे डोलते रहती उनकी पसंद का खाना बनाती उनके पैर दबाती, कपड़े धोती और घर के सारे काम काज बिना एक भी आवाज के करती।उसकी सास जो जब बोलती वो करने के लिए ममता हर वक्त हाजिर रहती.......!!
महंगे से महंगे साड़ियां, चप्पल पर्स और भी ज़रुरत की सारी सामग्री बिना उनके कहें ही वो उपलब्ध कराती।
उन्हें तकलीफ कुछ नहीं थी। पर...