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मन की कसक
ममता की सास ससुर इस साल फिर आने वाले थे।
जैसे ही उनके आने की खबर ममता के कानों में पड़ी तो
वो अंदर से कांप उठी......!!सोचने लगी फिर से मुझे वही सब झेलना पड़ेगा.! फिर से वही जिल्लत ,वही कहा सुनी वही उलहना ..!!पता नहीं उसकी सास को उससे क्या दुश्मनी थी जो ममता जैसी सुशील बहू को इतना प्रताड़ित करती थी। सुबह से लेकर शाम तक उनके आगे पीछे डोलते रहती उनकी पसंद का खाना बनाती उनके पैर दबाती, कपड़े धोती और घर के सारे काम काज बिना एक भी आवाज के करती।उसकी सास जो जब बोलती वो करने के लिए ममता हर वक्त हाजिर रहती.......!!
महंगे से महंगे साड़ियां, चप्पल पर्स और भी ज़रुरत की सारी सामग्री बिना उनके कहें ही वो उपलब्ध कराती।
उन्हें तकलीफ कुछ नहीं थी। पर उन्हें एक बहुत खराब शौक था। डाक्टर से दिखाने का बात बात पे उन्हें डाक्टर को दिखा कर सारे टेस्ट करवाना और लाखों का बिल बनाना ये सब उनकी आदत में शामिल था।ममता और उसका पति दोनों ही इस बात से भली भांति वाकिफ थे।
मगर फिर भी उनकी इच्छा का मान रखने के लिए वो
लाखों का नुक़सान भी सह लेते फिर भी ममता की सास में जरा सा भी बदलाव ना हुआ..!
ममता के साथ एक वक्त का खाना तो दूर एक प्याली चाय भी कभी नहीं पी होगी वो..!! बेचारी ममता किया कुछ नहीं करती है अपनी सास के लिए और एक उसकी सास है जो उसे बिल्कुल भी पसंद नहीं करती है।
इतनी पढ़ी लिखी और समझदार होते हुए भी उसने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी केबल सास के व्यवहार के चलते। फिर भी कभी उसकी सास उससे ठीक से बात नहीं करती। शायद ममता को वो अपनी बहू मानती ही नहीं थी। पर उसकी सारी इच्छा और ख्वाहिश ममता ही पुरी करती। उसके हर हुकुम का पालन करती।
उसकी और जेठानियां भी है। मगर वो लोग पलट कर भी नहीं देखती अपनी सास की तरफ़ पर ममता तो अपनी जान तक देने को तैयार रहती है। एक बार ऐसा होता कि ममता की सास अपने दूसरे बेटे के पास गयी हुई थी और वहां उन्हें डाक्टर को दिखाना था। डाक्टर साहब ने खूब सारा टेस्ट लिख दिया। मगर उस टेस्ट को कराने के लिए उनके बेटों ने उन्हें पैसा देने से इंकार कर दिया। तब उन्होंने यहां ममता के पति को अस्पताल के बाहर से खड़े होकर फोन किया पैसों के लिए तब बिना सोचे समझे उसने तुरंत ही जरूरत से चार गुना अधिक पैसा उन्हें भेज दिया था। पर उनकी आंखों में जरा सा भी पानी नहीं इन बातों का।ना तो रत्ती भर ममता की सास ममता को पसंद करती थी और ना ही उसके पति और बच्चों को......!!
पर ये बात ममता को बहुत बुरी लगती...!
उसे बहुत कष्ट होता अपनी सास के इस व्यवहार से
अकेले में छुप छुप कर वो बहुत रोती मगर कोई फायदा नहीं । सालों साल लगातार कोशिश करने के बाद भी जब वो अपनी सास की पसंदीदा बहू नहीं बन सकी तो से
स्वयं से ही नाराज़ रहने लगी और अब तो उसने भी यह मान लिया है कि उसकी किस्मत में सास का प्यार नहीं..??पर उसके मन की कसक उसे जीने नहीं देती..!!
और अक्सर वो इक पातीं दोहराती रहती है।
जब से होश संभाला एक ही सपना पाला।
अपनी सास की बहू बनूं मैं फेवरेट वाला।।
मगर ममता का ये सपना भी रहा आधा आधा..!!
किरण